किसी भी वक्त और किसी भी इमारत या जगह पर अधिकृत अधिकारियों द्वारा किया गया एक व्यापक तलाशी अभियान को रेड मारना कहा जाता है, छापेमारी के दौरान जो संदिग्ध लगेगा एजेंसी उसे जब्त कर सकती है
Image Credit: my-lord.inइस अधिनियम के तहत ही देश की जांच एजेंसियां (CBI, ED,NCB and ECI etc) तलाशी वारंट के जरिये छापा मार सकती हैं. यह वारंट अदालत या अधिकृत प्राधिकारी के द्वारा जारी किया जाता है
Image Credit: my-lord.inCBI के पास पूरे भारत में जांच का अधिकार होता है. इसका गठन Delhi Special Police Establishment Act, 1946 के तहत हुआ है. इस अधिनियम की धारा 6 के मुताबिक, CBI को किसी मामले की जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है.
Image Credit: my-lord.inED केंद्रीय जांच एजेंसी है. यह देश में आर्थिक अपराधों के खिलाफ कार्रवाई करती है. इन्हे Raid, कुर्की, जब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार है. ED मनी लॉन्ड्रिंग और फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट यानि फेमा से जुड़े मामलों को भी देखती है
Image Credit: my-lord.inRaid के लिए ED को मजिस्ट्रेट या कोर्ट से वारंट की ज़रूरत नहीं पड़ती क्योंकि PMLA कानून के तहत ED को वारंट जारी करने का हक हासिल है ED के पास PMLA के सेक्शन 5 (1) के तहत संपत्ति को अटैच करने का अधिकार है
Image Credit: my-lord.inRaid में जब्त सामानों का पंचनामा किया जाता है. पंचनामे में बताया जाता है कि कुल कितने पैसे बरामद हुए हैं नोटों की कितनी गड्डियां है.अगर नोट पर किसी तरह के निशान हों या लिफाफे में कुछ हो तो एजेंसी अपने पास जमा करती है. जिसे अदालत में सबूत के तौर पर पेश किया जाता है.
Image Credit: my-lord.inअगर ED सारे साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत करने में फेल हो जाती है तो पूरी संपत्ति उस व्यक्ति की हो सकती है जिसकी थी. एजेंसी इसमें RBI की भी मदद लेती है. नियमों के मुताबिक, ये पैसे सरकारी खजाने में तभी भेजे जाते हैं जब कोर्ट में चल रहा वह केस खत्म हो जाए और दोष सिद्ध हो जाए. एजेंसी के पास यह अधिकार है कि वह जब्त संपत्ति को नीलाम भी कर सकती है.
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