क्या था रॉलेट एक्ट? क्यों था ये काला कानून -जानिये

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 30 Jun, 2023

रॉलेट एक्ट

रॉलेट-एक्ट को काला कानून भी कहा जाता है. इसको ब्रिटिश सरकार ने भारत के लोगों को स्वतंत्र संघर्ष में कुचलने के लिए बनाया था. जिसका कार्य भारत में क्रांतिकारियों की आवाज़ को दबाने के लिए एक प्रभावी योजना का निर्माण करना था

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किसके द्वारा पारित किया गया

अंग्रेज सरकार ने 1916 में न्यायाधीश सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की, रॉलेट एक्ट 1919 का इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल द्वारा पारित किया गया था

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क्या था इस एक्ट में

क्रांतिकारियों के मुकदमे को हाईकोर्ट के तीन जजों की अदालत में पेश किया जाना ,किसी भी व्यक्ति के पास गैरकानूनी सामग्री होना या उसको आगे सप्लाई करना अपराध माना जाएगा, राजद्रोह (sedition) के मुकद्दमे की सुनवाई के लिए एक अलग न्यायालय स्थापित जाना

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पुलिस को असीमित अधिकार

इस अधिनियम ने पुलिस को असीमित अधिकार प्रदान किये थे, पुलिस को परिसर की तलाशी लेने और बिना वारंट के किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया, पुलिस को राजनीतिक कार्यकर्ताओं और संदिग्धों को बिना कोशिश किए हिरासत में लेने के लिए अधिकृत किया. किसी व्यक्ति को शक के आधार पर ही 2 वर्ष के लिए कारावास में ड़ाल दिए जाने का प्रावधान था

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ना अपील, ना दलील, ना वकील

इस एक्ट के तहत ना अपील, ना दलील, ना वकील वाला सिद्धांत लागू किया गया. इसके अंदर ब्रिटिश सरकार को यह अधिकार दिया गया था कि वह किसी भी भारतीय को अदालत में बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद कर सकते थे

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एक्ट का विरोध

पूरे देश में औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ आक्रोश था. इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के निर्वाचित भारतीय प्रतिनिधियों जैसे मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना और मजहर उल हक ने बिल के खिलाफ दिया इस्तीफा

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महात्मा गाँधी का कड़ा विरोध

गांधी जी ने इस कानून की आलोचना की थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि केवल एक या कुछ लोगों द्वारा किये गये अपराध के लिए लोगों के एक समूह को दोषी ठहरा कर उन्हें सजा देना नैतिक रूप से गलत है। गांधी जी ने इसके खिलाफ आवाज उठाते हुए इसका विरोध किया

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