कार्यकारी मजिस्ट्रेट की CrPC के तहत क्या भूमिका है?

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 24 May, 2023

न्यायिक मजिस्ट्रेट और कार्यकारी मजिस्ट्रेट

कानूनन मजिस्ट्रेट दो प्रकार के होते हैं. एक न्यायिक मजिस्ट्रेट और दूसरा कार्यकारी मजिस्ट्रेट. सीआरपीसी की धारा 3(4) के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट का काम जांच प्रक्रिया में मिले साक्ष्य के माध्यम से दंड या सजा सुनाना होता है, वहीं कार्यकारी मजिस्ट्रेट के द्वारा लाइसेंस देना, निलंबन और रद्द करने जैसे मामलों की जिम्मेदारी आती हैं

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कार्यकारी मजिस्ट्रेट के कार्यों का दायरा

इस प्रकार से कहा जा सकता है कि एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट के कार्यों का दायरा मुख्य रूप से प्रशासनिक मामलों, निवारक उपाय करने और कानून और व्यवस्था के रखरखाव से संबंधित मुद्दों तक सीमित है

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कार्यकारी मजिस्ट्रेट की भूमिका

कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा यह सुनिश्चित करना की नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन या अवहेलना न हो एक बड़ी भूमिका होती है. किसी राज्य की विधान सभा के परामर्श से न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा कार्यकारी मजिस्ट्रेट के कार्यों को निर्वहन करने की अनुमति देने के प्रावधान किए गए हैं

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CrPCकी धारा 116, 107 के तहत

जब सीआरपीसी की धारा 116 और धारा 107 के तहत एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट शांति और व्यवस्था बनाए रखने के संबंध में जांच करते है तब वह एक अदालत के रूप में भी कार्य करते हैं, लेकिन उनकी यह भूमिका प्रशासनिक कर्तव्यों को निष्पादित करते समय समाहित हो जाती है. इसीलिए कहा जाता है कि वे अपने कामकाज में दोहरी भूमिका निभाते हैं

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प्रशासनिक भूमिका

कार्यकारी मजिस्ट्रेटों की भूमिका काफी हद तक प्रशासनिक ही होती है. CrPC की धारा 107, 108, 109 और 110 के तहत कार्यकारी मजिस्ट्रेट को शांति बनाए रखने या अच्छा व्यवहार बनाए रखने के लिए बॉन्ड या सुरक्षा प्राप्त करने और सार्वजनिक उपद्रवों (न्यूसेंस) और संभावित खतरे का कारण बनने वाले मुद्दों से निपटने के अलावा धारा 133 और 144 के तहत सार्वजनिक शांति के लिए गैरकानूनी सभाओं को तितर-बितर करने के लिए अधिकृत किया गया है

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CrPC के तहत कार्य

किसी भी जगह पर जब कोई दंगा होता है तो उससे एक नहीं बल्कि भारी संख्या में लोग प्रभावित होते हैं, जिसके कारण लोगों की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगता है. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए CrPC की धारा 107 के तहत प्रभावी रूप से शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने से संबंधित है. शांति भंग की स्थिति होती है या होने की आशंका होती है तो वह जरूरी कार्यवाही को अंजाम दें सकते हैं

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बल प्रयोग का अधिकार

आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 129 के तहत एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट को सिविल बल के प्रयोग द्वारा गैरकानूनी सभा को तितर-बितर करने का भी अधिकार होता है

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ख़ास परिस्थितियों में भूमिका

सीआरपीसी के तहत सभी कार्यों के निष्पादन के लिए जहां “मजिस्ट्रेट” शब्द का उल्लेख किया गया है, इसका अर्थ है न्यायिक मजिस्ट्रेटों, न कि कार्यकारी मजिस्ट्रेट, जब तक कि अन्यथा निर्दिष्ट न किया गया हो. कार्यकारी मजिस्ट्रेट की भूमिका केवल उस समय काम आती है जब न्यायिक मजिस्ट्रेट को कार्यपालिका से समर्थन की आवश्यकता होती है

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