संविधान में संशोधन की क्या है प्रक्रिया, जानिये यहां

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 29 Jun, 2023

अनुच्छेद 368

भारतीय संविधान में संशोधन सम्बन्धी प्रावधान भाग 20 (XX) 368वें अनुच्छेद में बताया गया है. संविधान में संशोधन मुख्यत: तीन प्रकार से हो सकता है

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साधारण बहुमत से संशोधन

जब सदन में उपस्थित होकर वोट देने वाले सदस्यों का 50% से अधिक किसी विषय के पक्ष में मतदान होता है तो उसे “साधारण बहुमत” कहा जाता है. संविधान के कुछ उपबंधों में संशोधन संसद के सामान्य बहुमत और सामान्य विधेयक के लिए विनिहित विधायी प्रक्रिया द्वारा किया जा सकता है

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संशोधन के कुछ विषय

नए राज्यों का गठन और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन,राज्यों में विधान परिषदों का उन्मूलन या निर्माण, राजभाषा का प्रयोग ,नागरिकता - अधिग्रहण, और समाप्ति, संसद और राज्यविधानमंडलों के लिए चुनाव आदि

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दो-तिहाई बहुमत से संशोधन

कुछ विधेयक ऐसे होतें है जो प्रत्येक सदन के कुल सदस्यों की संख्या के बहुमत तथा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित होतें है, तो उसे राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता है, और राष्ट्रपति की स्वीकृति से संविधान में संशोधन हो जाता है. कुल मिलाकर अगर 280 सदस्यों की सहमति मिल जाए तो दोनों शर्ते पूरी हो जाएंगी

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विशेष बहुमत के विषय

इस प्रकार के विशेष बहुमत से मूल अधिकार (Fundamental Rights), राज्य के नीति के निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy) से सम्बंधित मामलों को संशोधित किया जाता है

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राज्यों के विधानमंडल की स्वीकृति

इस प्रक्रिया के अनुसार, यदि संविधान में संशोधन विधेयक संसद के सभी सदस्यों के बहुमत या संसद के दोनों सदनों के 2/3 बहुमत से पारित हो जाए, तो कम-से-कम 50% राज्यों के विधानमंडलों द्वारा पुष्टिकरण का प्रस्ताव पारित होने पर ही वह राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर वह कानून बन जायेगा

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इसमें शामिल हैं ये विषय

संविधान में संशोधन की इस प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति का निर्वाचन एवं इसकी प्रक्रिया। (अनुच्छेद 54 और 55), केंद्र एवं राज्य कार्यकारिणी की शक्तियों का विस्तार (अनुच्छेद 73 और 162), उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 241), संविधान के भाग 5 का अध्याय 4 और भाग 6 का अध्याय 5 आदि

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