6 सितंबर, 2018 के दिन, भारत में भारतीय दंड संहिता की धारा 377 डीक्रिमिनलाइज हो गई और अब समलैंगिक जोड़े आपस में शारीरिक संबंध बना सकते हैं
Image Credit: my-lord.inसेम सेक्स कपल्स को संवैधानिक तौर पर ज्यादा अधिकार नहीं दिए गए हैं लेकिन धारा 377 के डीक्रिमिनलाइज होने के बाद से कपल्स लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं
Image Credit: my-lord.inउत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जून, 2020 में कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सभी को यह अधिकार है अपनी सेक्शुअल चॉइस के पार्टनर को चुन सकें और सेम सेक्स कपल्स की लिव-इन रिलेशनशिप गैर-कानूनी नहीं है
Image Credit: my-lord.inअगस्त, 2020 में ओडिशा हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि 'जीने' और 'समानता' के संवैधानिक अधिकारों के तहत सेम-सेक्स लिव-इन रिलेशनशिप्स को भी मान्यता मिलती है और महिलाओं को सुरक्षा भी दी जाएगी
Image Credit: my-lord.inपरिवार के डर से याचिका फाइल करने वाले एक सेम सेक्स कपल को गुजरात हाईकोर्ट ने पुलिस प्रोटेक्शन देने का आदेश जारी किया था
Image Credit: my-lord.inपंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का भी यही कहना था कि भारत में सेम सेक्स कपल्स लिव-इन में रह सकते हैं और उनकी जान और स्वतंत्रता को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित रखा जाएगा
Image Credit: my-lord.inकुछ दिन पहले ही एक हिन्दू-मुस्लिम सेम सेक्स कपल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की कि उन्हें परिवार वालों से धमकियां मिल रही हैं; अदालत ने उनके लिए भी पुलिस प्रोटेक्शन का आदेश दिया
Image Credit: my-lord.inबता दें कि भारत में सेम सेक्स कपल्स की शादी का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और संवैधानिक पीठ ने फिलहाल इस पर ऑर्डर रिजर्व करके रखा है
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