जब भी पुलिस या कोई जांच एजेंसी किसी आरोपी को या किसी संदिग्ध को पकड़ती है तो उसे गिरफ्तार करना कहते हैं. इस प्रक्रिया में किसी व्यक्ति की आजादी को कानून द्वारा छीन लिया जाता है.
Image Credit: my-lord.inकिसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी के पीछे का उद्देश्य होता है किसी की सुरक्षा, जांच या फिर सबूतों के साथ छेड़छाड़ होने से रोकना. किसी को तब गिरफ्तार करते हैं यदि वह अपराधी हो या उस पर अपराध का संदेह है.
Image Credit: my-lord.inहिरासत को अंग्रेजी में Custody कहा जाता है जिसका अर्थ है सुरक्षात्मक देखभाल के लिए किसी को पकड़ना. हिरासत दो प्रकार के होते हैं- पुलिस हिरासत और न्यायिक हिरासत.
Image Credit: my-lord.inजब पुलिस किसी व्यक्ति को अपने कब्जे में लेती है और उसे थाने में रखती है तो उस प्रक्रिया को पुलिस हिरासत में लेना कहते है. पुलिस हिरासत में उस व्यक्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की होती है.
Image Credit: my-lord.inजब किसी अपराध से संबंधित व्यक्ति को कोर्ट में पेश किए जाने के बाद मजिस्ट्रेट उसे अपने संरक्षण में रखता है तो उसे न्यायिक हिरासत कहते हैं, जिसके बाद उस व्यक्ति के संरक्षण की जिम्मेदारी मजिस्ट्रेट की होती है.
Image Credit: my-lord.inपुलिस हिरासत में लिए गए व्यक्ति को थाने में रखा जाता है और 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश करना होता है. वहीं न्यायिक हिरासत में व्यक्ति को जेल में रखा जाता है और इसकी कोई समय अवधि नहीं होती है.
Image Credit: my-lord.inपुलिस हिरासत में रखे व्यक्ति को पुलिस बिना मजिस्ट्रेट के इजाजत के उससे पूछताछ कर सकती है. लेकिन न्यायिक हिरासत में केवल मजिस्ट्रेट ही पूछताछ कर सकते हैं या उनके इजाजत मिलने के बाद पुलिस या जांच एजेंसी पूछताछ कर सकती है.
Image Credit: my-lord.inलूट, हत्या या चोरी के मामलों में पुलिस हिरासत होती है. जबकि यदि कोई कोर्ट की अवहेलना कर कहा हो या उसकी जमानत खारिज कर दी जाती है तो उसे न्यायिक हिरासत में ले लिया जाता है.
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