हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के Chapter III की धारा 9 में Restitution of conjugal rights का जिक्र है. जिसके तहत अगर पति और पत्नी में से कोई एक दूसरे को बिना बोले अलग हो गया हो तो दोनों में से कोई भी इस राइट्स का इस्तेमाल करते हुए कोर्ट में याचिका दायर कर सकता हैं.
Image Credit: my-lord.inजो शादी शुदा जोड़े इस तरह के परेशानी का सामना कर रहें हैं वो हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 9 के अंतर्गत रेस्टिटूशन ओफ़ कोनजुगल राइट्स का इस्तेमाल करते हुए जिला न्यायालय (District Court) में याचिका दायर कर सकता हैं.
Image Credit: my-lord.inडिस्ट्रिक्ट कोर्ट दिए गए याचिकाकर्ता के दिए गए बयानों से संतुष्ट होने के बाद, पति या पत्नी जो घर से चले गए हैं, उनको वापस आने का निर्देश दे सकती है.
Image Credit: my-lord.inयह कानून हर उस व्यक्ति पर लागू होता है जो हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 2(1)(a) के तहत जो हिन्दू धर्म के किसी भी रूप या विकास के अनुसार, जिसके अन्तर्गत वीरशैव, लिंगायत अथवा ब्राह्मो समाज, प्रार्थना समाज या आर्य समाज के अनुयायी हो, जो धर्मतः हिन्दू हो. उनपर लागू होता है.
Image Credit: my-lord.inटूटे हुआ परिवार और शादी को जोड़ना इस कानून का मुख्य उद्देश्य है.
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