क्या है Restitution Of Conjugal Rights

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 16 Feb, 2023

Restitution Of Conjugal Rights क्या है?

हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के Chapter III की धारा 9 में Restitution of conjugal rights का जिक्र है. जिसके तहत अगर पति और पत्नी में से कोई एक दूसरे को बिना बोले अलग हो गया हो तो दोनों में से कोई भी इस राइट्स का इस्तेमाल करते हुए कोर्ट में याचिका दायर कर सकता हैं.

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किस कोर्ट में की जाती है याचिका दायर

जो शादी शुदा जोड़े इस तरह के परेशानी का सामना कर रहें हैं वो हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 9 के अंतर्गत रेस्टिटूशन ओफ़ कोनजुगल राइट्स का इस्तेमाल करते हुए जिला न्यायालय (District Court) में याचिका दायर कर सकता हैं.

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डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का निर्देश

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट दिए गए याचिकाकर्ता के दिए गए बयानों से संतुष्ट होने के बाद, पति या पत्नी जो घर से चले गए हैं, उनको वापस आने का निर्देश दे सकती है.

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किन लोगों पर लागू होता है

यह कानून हर उस व्यक्ति पर लागू होता है जो हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 2(1)(a) के तहत जो हिन्दू धर्म के किसी भी रूप या विकास के अनुसार, जिसके अन्तर्गत वीरशैव, लिंगायत अथवा ब्राह्मो समाज, प्रार्थना समाज या आर्य समाज के अनुयायी हो, जो धर्मतः हिन्दू हो. उनपर लागू होता है.

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Restitution Of Conjugal Rights का उद्देश्य

टूटे हुआ परिवार और शादी को जोड़ना इस कानून का मुख्य उद्देश्य है.

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