भारत की जेलों में इतने अपराधी हो चुके हैं कि अपराधियों को रखने एवं उनकी देखरेख की व्यवस्था मुश्किल हो जाती है। अदालत गंभीर अपराधों में ही जेल में रखने पर ध्यान आकर्षित करती है।
Image Credit: my-lord.inहमारे देश में कुछ ऐसे अपराध हैं जो ज्यादा गंभीर नहीं है और जिनमें कारावास की सज़ा 1-2 महीने या 6 महीने तक ही है वहां अदालत अभियुक्त के अपराध स्वीकार करने पर जुर्माना लगाकर छोड़ सकती है।
Image Credit: my-lord.inजुआ और सट्टा खेलना पूरी तरह प्रतिबंधित है और दोनों ही कारावास से दंडनीय अपराध है. लेकिन आमतौर पर अदालत इन अपराधों में अभियुक्त के अपराध स्वीकार कर लेने पर 100 या 200 रुपए का जुर्माना कर देती है.
Image Credit: my-lord.inसार्वजनिक रूप से शराब पीना प्रतिबंधित है. इन अपराधों में ट्रायल फेस नहीं करना पड़ता है क्योंकि अपराध स्वीकार कर लेने पर जुर्माना कर दिया जाता है।
Image Credit: my-lord.inकभी कभी अदालत उदार दृष्टिकोण रखते हुए NDPS Act के अंतर्गत आने वाले पदार्थों के सेवन करने वाले व्यक्ति पर भी जुर्माना लगाकर छोड़ देती है.
Image Credit: my-lord.inलापरवाही से गाड़ी चलाना IPC की धारा 279 के तहत अपराध है। अगर किसी व्यक्ति को साधारण चोट लगी है तो उसपर धारा 337 लागु होती है. इन दोनों ही अपराधों में अदालत अभियुक्त को जुर्माना लगाकर छोड़ सकती है।
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