नाममात्र जुर्माना क्या होता है

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 04 May, 2023

क्यों लगता है नाममात्र जुर्माना

भारत की जेलों में इतने अपराधी हो चुके हैं कि अपराधियों को रखने एवं उनकी देखरेख की व्यवस्था मुश्किल हो जाती है। अदालत गंभीर अपराधों में ही जेल में रखने पर ध्यान आकर्षित करती है।

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ऐसे अपराध जिनमें लगता है नाममात्र जुर्माना

हमारे देश में कुछ ऐसे अपराध हैं जो ज्यादा गंभीर नहीं है और जिनमें कारावास की सज़ा 1-2 महीने या 6 महीने तक ही है वहां अदालत अभियुक्त के अपराध स्वीकार करने पर जुर्माना लगाकर छोड़ सकती है।

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जुआ और सट्टे का अपराध

जुआ और सट्टा खेलना पूरी तरह प्रतिबंधित है और दोनों ही कारावास से दंडनीय अपराध है. लेकिन आमतौर पर अदालत इन अपराधों में अभियुक्त के अपराध स्वीकार कर लेने पर 100 या 200 रुपए का जुर्माना कर देती है.

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सार्वजनिक रूप से शराब पीने का अपराध

सार्वजनिक रूप से शराब पीना प्रतिबंधित है. इन अपराधों में ट्रायल फेस नहीं करना पड़ता है क्योंकि अपराध स्वीकार कर लेने पर जुर्माना कर दिया जाता है।

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NDPS Act के तहत भी लगता है जुर्माना

कभी कभी अदालत उदार दृष्टिकोण रखते हुए NDPS Act के अंतर्गत आने वाले पदार्थों के सेवन करने वाले व्यक्ति पर भी जुर्माना लगाकर छोड़ देती है.

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लापरवाही से गाड़ी चलाने का अपराध

लापरवाही से गाड़ी चलाना IPC की धारा 279 के तहत अपराध है। अगर किसी व्यक्ति को साधारण चोट लगी है तो उसपर धारा 337 लागु होती है. इन दोनों ही अपराधों में अदालत अभियुक्त को जुर्माना लगाकर छोड़ सकती है।

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