भारत में आपातकाल की स्थिति एक संवैधानिक व्यवस्था के तहत शासन की अवधि को संदर्भित करती है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा घोषित किया जा सकता है, जब आंतरिक और बाहरी स्रोतों से राष्ट्र को गंभीर खतरा होने की संभावना हो.
Image Credit: my-lord.inआपातकाल एक असाधारण स्थिति है जहां कानूनों को निलंबित किया जा सकता है और राष्ट्रपति को शासन करने का अधिकार प्राप्त होता है. राज्यों में, शासन का नियंत्रण राज्यपाल के पास होता है.
Image Credit: my-lord.inसंविधान के अंतर्गत आपातकाल तीन प्रकार से वर्णित है जो की अनुच्छेद 352, 356 और 360 के तहत उल्लिखित है - राष्ट्रीय आपातकाल, राज्य आपातकाल और वित्तीय आपातकाल.
Image Credit: my-lord.inआजादी के बाद से अनुच्छेद 352 का प्रयोग तीन बार किया गया- पहली 1962, भारत-चीन युद्ध के दौरान, दूसरी 1971, भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान और तीसरी 1975, "आंतरिक गड़बड़ी" के कारण.
Image Credit: my-lord.inराष्ट्रपति द्वारा देश में आपातकाल की घोषणा की जा सकती है जब उन्हें लगता है कि बाहरी (जैसे युद्ध या आतंकवादी हमला) या आंतरिक खतरों (सशस्त्र विद्रोह) से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है.
Image Credit: my-lord.in1975 के बाद, आपातकाल की शक्तियों को कम करने के लिए संविधान के 44वें संशोधन के माध्यम से राष्ट्रीय आपातकाल के प्रावधान में संशोधन किया गया, जिसमें "आंतरिक गड़बड़ी" को "सशस्त्र विद्रोह" में बदल दिया गया.
Image Credit: my-lord.inराष्ट्रपति को आपातकाल घोषणा का अधिकार है पर यह घोषणा करना तभी आवश्यक होता है जब उनके पास प्रधान मंत्री और उनके मंत्रिमंडल द्वारा ऐसा करने का लिखित अनुरोध किया गया हो.
Image Credit: my-lord.inपहले केवल प्रधान मंत्री ही राष्ट्रपति को आपातकाल घोषित करने के लिए कह सकते थे लेकिन 44वें संशोधन के बाद से कैबिनेट मंत्रियों को भी शामिल किया गया है.
Image Credit: my-lord.inजारी आपातकाल की प्रत्येक उद्घोषणा को संसद के प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत से पारित किया जाना चाहिए (जिसका अर्थ है कि सदन के 2/3 सदस्यों को इसके पक्ष में मतदान करना चाहिए).
Image Credit: my-lord.inप्रस्ताव पारित होने के बाद, आपातकाल एक महीने की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा जब तक कि दोनों सदनों में आपातकाल को छ: महीने तक बढ़ाने के लिए एक और उद्घोषणा पारित नहीं की जाती है.
Image Credit: my-lord.inआपातकाल में मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है क्योंकि मौलिक अधिकार उचित प्रतिबंध के अधीन हैं. अनुच्छेद 358 और 359 में मौलिक अधिकारों पर आपातकाल के प्रभाव का उल्लेख है.
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