हिंदू विवाह कानून में क्या है न्यायिक अलगाव?

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 31 May, 2023

हिंदू विवाह कानून 1955

इस कानून में हिंदू विवाह से संबंधित सभी तरह के नियमों के बारे में बताया गया. जिसके धारा 10 में न्यायिक अलगाव का प्रावधान है

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क्या होता है न्यायिक अलगाव

न्यायिक अलगाव (Judicial Separation), ऐसे विवाहित जोड़े जो विवाह के बाद साथ नहीं रह पा रहे. उन्हे अलग रह कर अपने विवाह पर विचार करने के लिए कानूनी रूप से कुछ वक्त दिया जाता है जिसे न्यायिक अलगाव कहा जाता है

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धारा 10

इसके तहत यह बताया गया है कि न्यायिक अलगाव के लिए किन कारणों को कानूनी आधार बनाया जा सकता है. इसके अनुसार धारा 13 में बताए गए कारणों को भी आधार बनाकर अलगाव के लिए अपील की जा सकती है

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धारा 13 (1) (i)

जब पति या पत्नी में से कोई भी अपनी इच्छा से विवाहित होते हुए भी किसी और के साथ शारीरिक रिस्ता बनाता है. तो पीड़ित पक्ष इसे कानूनी आधार बना सकता है

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क्रूरता करने पर

धारा 13 (1) (i-a), अगर पति या पत्नी में से कोई भी एक दूसरे के साथ बुरा बर्ताव करता है या मानसिक या शारीरिक चोट पहुंचाता है तो पीड़ित पक्ष इसे अलगाव के लिए आधार बना सकता है

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परित्याग के कारण

धारा 13 (1) (b), अगर पति या पत्नी में से किसी ने भी याचिका दायर करने से दो साल पहले ही किसी भी कारण से छोड़ दिया है तो इसके आधार पर अदालत अलगाव के लिए याचिका को स्वीकार कर सकती है

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धारा 13(1)(ii)

अगर पति या पत्नी में से कोई भी हिंदू धर्म के अलावा किसी दूसरे धर्म को अपना लेता है तो न्यायिक अलगाव के लिए याचिका दायर कर सकता है

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धारा 13(1)(iii)

किसी विवाह में अगर कोई भी पक्ष (पति या पत्नी) किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित है, जिसके कारण दोनों का साथ रहना मुश्किल है. तब यह अलगाव का कारण बन सकता है

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कुष्ठ रोग होने की दशा में

धारा 13 (1) (iv), विवाहित जोड़े में से कोई भी अगर किसी ना ठिक होने वाले कुष्ठ रोग जैसी किसी बीमारी से पीड़ित है, तो न्यायिक अलगाव की राहत की मांग कर सकते हैं

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संन्यास लेने पर

अगर पति या पत्नी संन्यास ले लेता है जिसके बारे में धारा 13 (1) (vi) में बताया गया है. तो इसे भी न्यायिक अलगाव के लिए कारण बनाया जा सकता है

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दो शादियां

धारा 13 (2) (i) में प्रावधान किया गया है, बाईगेमी यानी वो पति जिसने पहले ही शादी कर रखी हो और वह दोबारा शादी करता है तो ऐसे में दोनों ही पत्नीयों को यह अधिकार है कि वह न्यायिक अलगाव के लिए याचिका दायर कर सकती है

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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