इस कानून में हिंदू विवाह से संबंधित सभी तरह के नियमों के बारे में बताया गया. जिसके धारा 10 में न्यायिक अलगाव का प्रावधान है
Image Credit: my-lord.inन्यायिक अलगाव (Judicial Separation), ऐसे विवाहित जोड़े जो विवाह के बाद साथ नहीं रह पा रहे. उन्हे अलग रह कर अपने विवाह पर विचार करने के लिए कानूनी रूप से कुछ वक्त दिया जाता है जिसे न्यायिक अलगाव कहा जाता है
Image Credit: my-lord.inइसके तहत यह बताया गया है कि न्यायिक अलगाव के लिए किन कारणों को कानूनी आधार बनाया जा सकता है. इसके अनुसार धारा 13 में बताए गए कारणों को भी आधार बनाकर अलगाव के लिए अपील की जा सकती है
Image Credit: my-lord.inजब पति या पत्नी में से कोई भी अपनी इच्छा से विवाहित होते हुए भी किसी और के साथ शारीरिक रिस्ता बनाता है. तो पीड़ित पक्ष इसे कानूनी आधार बना सकता है
Image Credit: my-lord.inधारा 13 (1) (i-a), अगर पति या पत्नी में से कोई भी एक दूसरे के साथ बुरा बर्ताव करता है या मानसिक या शारीरिक चोट पहुंचाता है तो पीड़ित पक्ष इसे अलगाव के लिए आधार बना सकता है
Image Credit: my-lord.inधारा 13 (1) (b), अगर पति या पत्नी में से किसी ने भी याचिका दायर करने से दो साल पहले ही किसी भी कारण से छोड़ दिया है तो इसके आधार पर अदालत अलगाव के लिए याचिका को स्वीकार कर सकती है
Image Credit: my-lord.inअगर पति या पत्नी में से कोई भी हिंदू धर्म के अलावा किसी दूसरे धर्म को अपना लेता है तो न्यायिक अलगाव के लिए याचिका दायर कर सकता है
Image Credit: my-lord.inकिसी विवाह में अगर कोई भी पक्ष (पति या पत्नी) किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित है, जिसके कारण दोनों का साथ रहना मुश्किल है. तब यह अलगाव का कारण बन सकता है
Image Credit: my-lord.inधारा 13 (1) (iv), विवाहित जोड़े में से कोई भी अगर किसी ना ठिक होने वाले कुष्ठ रोग जैसी किसी बीमारी से पीड़ित है, तो न्यायिक अलगाव की राहत की मांग कर सकते हैं
Image Credit: my-lord.inअगर पति या पत्नी संन्यास ले लेता है जिसके बारे में धारा 13 (1) (vi) में बताया गया है. तो इसे भी न्यायिक अलगाव के लिए कारण बनाया जा सकता है
Image Credit: my-lord.inधारा 13 (2) (i) में प्रावधान किया गया है, बाईगेमी यानी वो पति जिसने पहले ही शादी कर रखी हो और वह दोबारा शादी करता है तो ऐसे में दोनों ही पत्नीयों को यह अधिकार है कि वह न्यायिक अलगाव के लिए याचिका दायर कर सकती है
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