महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा को रोकने के लिए 'Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005' पारित किया गया था
Image Credit: my-lord.inघरेलू हिंसा का केस घर के पुरुष या महिला दोनों तरह के सदस्यों पर लग सकता है। घर के सदस्यों में सिर्फ एक छत के नीचे रहना जरुरी नहीं है बल्कि रिश्तेदारी जरुरी है। यदि कोई रिश्तेदार उसके विरुद्ध हिंसा करता है तब पीड़ित महिला यह मुकदमा लगा सकती है
Image Credit: my-lord.inआमतौर पर यह मुकदमा सीधे क्षेत्र के मजिस्ट्रेट के पास लगाया जाता है जो घरेलू हिंसा के प्रकरण सुनने के लिए जिले के जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा या फिर उच्च न्यायालय द्वारा सशक्त किया जाता है
Image Credit: my-lord.inAct की धारा 17 के तहत पीड़ित महिला को सांझी गृहस्थी में रहने का अधिकार है, धारा 18 के तहत संरक्षण दिए जाने का आदेश पारित किया जाता है, धारा 19 के तहत घर से निकाली गई महिला को निवास आदेश दिए जाने का प्रावधान है। धारा 20 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट विशेष आदेश भी दे सकता है
Image Credit: my-lord.inधारा 23 के तहत अंतरिम राहत के तौर पर किसी भरण पोषण की मांग करने वाली महिला को भरण पोषण दिए जाने का आदेश किया जा सकता है
Image Credit: my-lord.inघरेलू हिंसा के केस में अधिक रुपए खर्च नहीं होते हैं यदि महिला के पास वकील नियुक्त करने के रुपये नहीं हैं तो उसे विधिक सेवा से मुफ्त में वकील भी उपलब्ध होता है
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