जमानत का अर्थ किसी तय समय के लिए आरोपी को जेल से राहत देना है. हमेशा जमानत व्यक्ति को कुछ शर्तों के साथ दी जाती है जिसकी अवहेलना करने पर व्यक्ति की जमानत रद्द हो सकती है. ये शर्तें अपराध के आरोप पर निर्भर करती है
Image Credit: my-lord.inजमात 4 प्रकार की होती है- अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail), अंतरिम जमानत (Interim Bail), साधारण जमानत (Regular Bail), और बाध्यकारी जमानत (Default Bail)
Image Credit: my-lord.inमृत्युदंड, आजीवन कारावास और कम से कम 10 साल के कारावास से दंडित अपराधों में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन का समय और अन्य अपराधों में 60 दिन का समय दिया जाता है.
Image Credit: my-lord.inNarcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985 के तहत पुलिस को 180 दिन का समय दिया गया है जिसे एक वर्ष तक भी बढ़ाया जा सकता है
Image Credit: my-lord.inCrPC की धारा 167 (2) के तहत Default Bail का अधिकार, न केवल एक वैधानिक अधिकार है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का एक हिस्सा भी है
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि एक बार किसी व्यक्ति को डिफ़ॉल्ट जमानत पर रिहा कर दिया गया है, और वो मेरिट और जांच में सहयोग नहीं कर रहा है तो उसकी जमानत को रद्द किया जा सकता है
Image Credit: my-lord.inपढ़ने के लिए धन्यवाद!