दल बदल विरोधी कानून क्या है- जानते हैं विस्तार से

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 03 Jul, 2023

दल बदल कानू्न

इसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ और पद के लालच में दल बदल करने वाले जन-प्रतिनिधियों को अयोग्य करार देना है, ताकि संसद की स्थिरता बनी रहे

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भारतीय संविधान में प्रावधान

10वीं अनुसूची में (Anti-Defection Law) का प्रावधान है, ये वर्ष 1985 में 52वें संविधान संशोधन के द्वारा लाया गया है

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अयोग्य घोषित किये जाने के आधार

जब एक निर्वाचित सदस्य स्वेच्छा से किसी राजनीतिक दल की सदस्यता को छोड़ देता है, यदि कोई निर्दलीय निर्वाचित सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है, या जब किसी सदस्य द्वारा सदन में पार्टी के पक्ष के विपरीत वोट किया जाता है, या फिर छह महीने की समाप्ति के बाद यदि कोई मनोनीत सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है

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दल-बदल से जुड़े अपवाद

यदि कोई व्यक्ति स्पीकर या अध्यक्ष के रूप में चुना जाता है तो वह अपनी पार्टी से इस्तीफा दे सकता है और जब वह पद छोड़ता है तो फिर से पार्टी में शामिल हो सकता है। इस तरह के मामले में उसे अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा

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संविधान का 91वां संशोधन

इस संशोधन के ज़रिये मंत्रिमंडल का आकार भी 15 फीसदी सीमित कर दिया गया, हालाँकि, किसी भी कैबिनेट सदस्यों की संख्या 12 से कम नहीं होगी, इस संशोधन के द्वारा 10वीं अनुसूची की धारा 3 को खत्म कर दिया गया, जिसमें प्रावधान था कि एक-तिहाई सदस्य एक साथ दल बदल कर सकते थे

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कई देशों में यह कानून नहीं

इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका इन सभी देशों में जनप्रतिनिधि प्रायः अपने दलों के विपरीत मत रखते हैं या पार्टी लाइन से अलग जाकर वोट करते हैं, फिर भी वे उसी पार्टी में बने रहते हैं

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क्या था आया राम गया राम मामला

1967 में, हरियाणा के विधायक गया लाल ने पंद्रह दिनों के भीतर तीन बार अपनी राजनीतिक पार्टी बदली - पहले कांग्रेस से जनता पार्टी में, फिर वापस कांग्रेस में और फिर जनता पार्टी में

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