आदिवासी समूह हमारे देश का एक ऐसा हिस्सा है जो आज भी विकास के इंतजार में है. संविधान में आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में रखा गया है
Image Credit: my-lord.inआदिवासियों के अधिकार और उनकी रक्षा के लिए पेसा कानून (PESA), 1996 बनाया गया. जिसमें ग्राम सभा को अनुसूचित जाति के अधिकारों की रक्षा के लिए शक्तियां दी गई
Image Credit: my-lord.inइस एक्ट को कुछ अपवादों एवं संशोधनों के साथ संविधान के भाग 9 के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करने के लिए अधिनियमित किया गया था. अनुच्छेद 243-243ZT के भाग 9 में नगर पालिकाओं और सहकारी समितियों से संबंधित प्रावधान हैं
Image Credit: my-lord.inअनुसूचित क्षेत्र को अनुच्छेद 244 (1) में संदर्भित किया गया है, जिसके अनुसार पांचवीं अनुसूची के प्रावधान असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों की अनुसूचित जनजातियों पर लागू होंगे. पांचवीं अनुसूची इन क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधानों की श्रृंखला प्रदान करती है
Image Credit: my-lord.inदेश के दस राज्यों - गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना, ने पाँचवीं अनुसूची के क्षेत्रों को अधिसूचित किया है
Image Credit: my-lord.inइसका मुख्य उद्देश्य है ग्राम सभा को शक्तियां देकर जनजाति वर्ग को सशक्त बनाना. ग्राम सभा इन शक्तियों का इस्तेमाल आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले जनजातियों के विकास के लिए करें और उनके हक की रक्षा कर सकें
Image Credit: my-lord.inजल-जंगल-जमीन, श्रमिक और संस्कृति के अधिकार की सुरक्षा, बाजार-मेलों का प्रबंधन, ग्राम विकास की कार्ययोजना तैयार करने सम्बन्धी बातों का उल्लेख
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