मेहर ना मिलने पर क्या है मुस्लिम महिलाओं के कानूनी अधिकार?

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 16 Mar, 2023

मेहर क्या है?

मेहर, वह स्त्रीधन है जो निकाह के समय पति द्वारा पत्नि को सम्मान के रूप में दिया जाता है. मेहर मुद्रा के रूप में होती है, लेकिन वह आभूषण, घरेलू सामान, फर्नीचर, या जमीन आदि के रूप में भी हो सकती है.

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मेहर के प्रकार

मेहर अनिवार्य रूप से दो प्रकार के होते हैं -निर्दिष्ट मेहर और अनिर्दिष्ट मेहर. निर्दिष्ट मेहर के भी दो प्रकार होते हैं- शीघ्र मेहर और आस्थगित मेहर.

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निर्दिष्ट मेहर

यदि मेहर की राशि विवाह अनुबंध में वर्णित है, तो यह मेहर निर्दिष्ट होगी. निर्दिष्ट मेहर का सीधा सा अर्थ है की जहां मेहर में देनी वाली राशि तय की गई है जिसे पति द्वारा भुगतान किया जाना है.

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शीघ्र मेहर व आस्थगित मेहर

शीघ्र मेहर मूल रूप से एक मेहर है जो शादी के बाद अदा की जाती है, जबकि आस्थगित मेहर की अदायगी तलाक या पति की मृत्यु के कारण विवाह समाप्त होने के बाद होती है.

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अनिर्दिष्ट मेहर

यदि मेहर की राशि निर्दिष्ट नहीं है तो भी पति अपनी पत्नी को मेहर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, इसलिए एक ऐसी राशि का होना जरुरी जो समाज में या प्रत्येक व्यक्ति के मामले में उचित हो.

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पति के साथ रहने से इंकार

मुस्लिम पत्नी मेहर की मांग करने के बाद भुगतान न होने पर अपने पति के साथ रहने से इंकार के साथ ही अपने दांपत्य संबंधों को निभाने से भी इंकार कर सकती है. यह उसका कानूनी औचित्य है.

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कोर्ट जाने का अधिकार

अगर पति-पत्नी ने यौन संबंध बना लिया है तो वह उसके साथ रहने से इंकार नहीं कर सकती है, किन्तु वह मेहर की बकाया राशि की वसूली के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है.

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संपत्ति पर धारणाधिकार

पति की मृत्यु के बाद पत्नि को अधिकार है कि वह अपने पति की संपत्ति को अपने कब्जे में रख सकती है, जब तक कि उसे अपने पति के कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा मेहर की राशि का भुगतान नहीं किया जाता है.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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