हमारे कानून में अपराध को दो भागों में बांटा गया है-संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offence).
Image Credit: my-lord.inसंज्ञेय अपराध के तहत आरोपित को पुलिस वारंट के बिना ही अरेस्ट कर सकती है जबकि गैर संज्ञेय अपराध में गिरफ्तारी के लिए वारंट की आवश्यकता पड़ती है.
Image Credit: my-lord.inCrPC की धारा 149 के अनुसार हर पुलिस अधिकारी को यह अधिकार है कि वो किसी भी संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा सकता है और हर मुमकिन प्रयास कर सकता है.
Image Credit: my-lord.inधारा 150 के तहत यदि किसी पुलिस अधिकारी को किसी संज्ञेय अपराध को अंजाम देने की योजना के बारे में पता चलता है तो ऐसे में उस पुलिस अधिकारी को इसकी सूचना दें, जो उस अपराध को रोकने के लिए सक्षम है.
Image Credit: my-lord.inधारा 151 में दो उपधाराएं दी गई है जिसमें बताया गया है कि अगर किसी पुलिस अधिकारी को किसी संज्ञेय अपराध के होने की सूचना मिलती है तो वो कैसे दोषी को अरेस्ट कर सकता है.
Image Credit: my-lord.inअगर किसी पुलिस अधिकारी को किसी संज्ञेय अपराध को अंजाम देने की योजना का पता चलता है और उसे विश्वास हो कि गिरफ्तारी से ही अपराध को रोक सकते हैं, तो वह बिना वारंट या आदेश के योजना बना रहे लोगों को अरेस्ट कर सकता है.
Image Credit: my-lord.inपुलिस गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में नहीं रख सकती. लेकिन अगर कोई प्रावधान या मजिस्ट्रेट हिरासत में रखने की अवधि को बढ़ाने का आदेश देता है तो यह अवधि बढ़ सकती है.
Image Credit: my-lord.inधारा 151 के तहत बिना वारंट गिरफ्तारी तब ही की जा सकती है जब कोई संज्ञेय अपराध होने की संभावना हो, पुलिस को उसके योजना की जानकारी हो, और यह विश्वास हो कि गिरफ्तारी से ही उस अपराध को रोक सकते हैं.
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