किन परिस्थितियों में अपराध होने से पहले पुलिस Arrest कर सकती है?

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 22 Mar, 2023

अपराध के प्रकार

हमारे कानून में अपराध को दो भागों में बांटा गया है-संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offence).

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संज्ञेय और गैर संज्ञेय अपराध

संज्ञेय अपराध के तहत आरोपित को पुलिस वारंट के बिना ही अरेस्ट कर सकती है जबकि गैर संज्ञेय अपराध में गिरफ्तारी के लिए वारंट की आवश्यकता पड़ती है.

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संज्ञेय अपराधों को रोकना

CrPC की धारा 149 के अनुसार हर पुलिस अधिकारी को यह अधिकार है कि वो किसी भी संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा सकता है और हर मुमकिन प्रयास कर सकता है.

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संज्ञेय अपराध की सूचना देना

धारा 150 के तहत यदि किसी पुलिस अधिकारी को किसी संज्ञेय अपराध को अंजाम देने की योजना के बारे में पता चलता है तो ऐसे में उस पुलिस अधिकारी को इसकी सूचना दें, जो उस अपराध को रोकने के लिए सक्षम है.

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बिना वारंट के गिरफ्तारी

धारा 151 में दो उपधाराएं दी गई है जिसमें बताया गया है कि अगर किसी पुलिस अधिकारी को किसी संज्ञेय अपराध के होने की सूचना मिलती है तो वो कैसे दोषी को अरेस्ट कर सकता है.

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CrPC की 151 उप-धारा 1

अगर किसी पुलिस अधिकारी को किसी संज्ञेय अपराध को अंजाम देने की योजना का पता चलता है और उसे विश्वास हो कि गिरफ्तारी से ही अपराध को रोक सकते हैं, तो वह बिना वारंट या आदेश के योजना बना रहे लोगों को अरेस्ट कर सकता है.

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CrPC की 151 उप-धारा 2

पुलिस गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में नहीं रख सकती. लेकिन अगर कोई प्रावधान या मजिस्ट्रेट हिरासत में रखने की अवधि को बढ़ाने का आदेश देता है तो यह अवधि बढ़ सकती है.

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गिरफ्तारी की शर्तें

धारा 151 के तहत बिना वारंट गिरफ्तारी तब ही की जा सकती है जब कोई संज्ञेय अपराध होने की संभावना हो, पुलिस को उसके योजना की जानकारी हो, और यह विश्वास हो कि गिरफ्तारी से ही उस अपराध को रोक सकते हैं.

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