संपत्ति खरीदने से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट के Justice Tapabrata Chakraborty और Justice Partha Sarathi Chatterjee की खंडपीठ ने एक परिवार में संपत्ति विवाद को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है
Image Credit: my-lord.inकोर्ट के अनुसार "भारतीय समाज में, अगर एक पति अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति प्राप्त करने के लिए प्रतिफल राशि की आपूर्ति करता है, तो इस तरह के तथ्य का अर्थ बेनामी लेनदेन नहीं है." खंडपीठ ने यह भी कहा कि "निःसंदेह धन का स्रोत एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन बेनामी नहीं
Image Credit: my-lord.inएक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के नाम पर 1969 में कुछ जमीन खरीदी थी, और उस समय पत्नी के पास कोई आय का स्रोत नहीं था...
Image Credit: my-lord.inसाल 1999 में पति की मौत के बाद जमीन उसकी पत्नी, बेटे और बेटी में बटवारा हो गया. वर्ष 2011 के बाद बेटा अलग रहने लगा तो उसने जमीन में हिस्सा मांगा..
Image Credit: my-lord.inमां ने घर बेटी के नाम कर दिया, इसके बाद बेटे ने बेनामी प्रॉपर्टी का केस दर्ज कर दिया और इस दौरान महिला की भी मृत्यु हो गई और मामला ज्यादा ही जटिल हो गया
Image Credit: my-lord.inहाई कोर्ट ने इस मामले में बेटे की अपील को ख़ारिज करते हुए कहा, "धन का स्रोत निस्संदेह एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन निर्णायक नहीं है. पीठ ने रेखांकित किया यह दिखाने का भार कि हस्तांतरण बेनामी है, हमेशा उस व्यक्ति पर होता है जो इसका दावा करता है
Image Credit: my-lord.inकोर्ट ने कहा कि आम तौर पर दो प्रकार के बेनामी लेनदेन को मान्यता दी जाती है. पहला, एक व्यक्ति अपने पैसे से एक संपत्ति खरीदता है, लेकिन दूसरे प्रकार में, खरीद दूसरे व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के इरादे से नहीं होती
Image Credit: my-lord.inदूसरा प्रकार का कृत्य ही बेनामी लेनदेन के रूप में जाना जाता है, जहां संपत्ति का मालिक संपत्ति के शीर्षक को स्थानांतरित करने के इरादे के बिना दूसरे के पक्ष में एक हस्तांतरण निष्पादित करता है. अदालत ने कहा बाद के मामले में ट्रांसफर करने वाला असली मालिक बना रहता है
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