'पत्नी के नाम संपत्ति खरीदने हेतु किया गया लेनदेन बेनामी नहीं'

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 19 Jun, 2023

कलकत्ता हाई कोर्ट की खास टिप्पणी

संपत्ति खरीदने से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट के Justice Tapabrata Chakraborty और Justice Partha Sarathi Chatterjee की खंडपीठ ने एक परिवार में संपत्ति विवाद को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है

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बेनामी लेनदेन नहीं

कोर्ट के अनुसार "भारतीय समाज में, अगर एक पति अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति प्राप्त करने के लिए प्रतिफल राशि की आपूर्ति करता है, तो इस तरह के तथ्य का अर्थ बेनामी लेनदेन नहीं है." खंडपीठ ने यह भी कहा कि "निःसंदेह धन का स्रोत एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन बेनामी नहीं

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क्या था मामला

एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के नाम पर 1969 में कुछ जमीन खरीदी थी, और उस समय पत्नी के पास कोई आय का स्रोत नहीं था...

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जमीन का बंटवारा

साल 1999 में पति की मौत के बाद जमीन उसकी पत्नी, बेटे और बेटी में बटवारा हो गया. वर्ष 2011 के बाद बेटा अलग रहने लगा तो उसने जमीन में हिस्सा मांगा..

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बेटे को नहीं मिला हिस्सा

मां ने घर बेटी के नाम कर दिया, इसके बाद बेटे ने बेनामी प्रॉपर्टी का केस दर्ज कर दिया और इस दौरान महिला की भी मृत्यु हो गई और मामला ज्यादा ही जटिल हो गया

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बेटे की अपील ख़ारिज

हाई कोर्ट ने इस मामले में बेटे की अपील को ख़ारिज करते हुए कहा, "धन का स्रोत निस्संदेह एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन निर्णायक नहीं है. पीठ ने रेखांकित किया यह दिखाने का भार कि हस्तांतरण बेनामी है, हमेशा उस व्यक्ति पर होता है जो इसका दावा करता है

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दो प्रकार के बेनामी लेनदेन की मान्यता

कोर्ट ने कहा कि आम तौर पर दो प्रकार के बेनामी लेनदेन को मान्यता दी जाती है. पहला, एक व्यक्ति अपने पैसे से एक संपत्ति खरीदता है, लेकिन दूसरे प्रकार में, खरीद दूसरे व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के इरादे से नहीं होती

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बेनामी लेनदेन

दूसरा प्रकार का कृत्य ही बेनामी लेनदेन के रूप में जाना जाता है, जहां संपत्ति का मालिक संपत्ति के शीर्षक को स्थानांतरित करने के इरादे के बिना दूसरे के पक्ष में एक हस्तांतरण निष्पादित करता है. अदालत ने कहा बाद के मामले में ट्रांसफर करने वाला असली मालिक बना रहता है

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