यौन उत्पीड़न समितियों के गठन पर Supreme Court का सख्त रुख

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 15 May, 2023

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

केंद्र और राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि वे समयबद्ध तरीके से पड़ताल करें कि सभी मंत्रालयों और विभागों में यौन उत्पीड़न समितियों का गठन किया गया है या नहीं

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कानून को लागू करने में गंभीर खामियां

समाचार एजेंसी भाषा की माने तो न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि 2013 के यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (POSH) को लागू करने में गंभीर खामियां हैं

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अनुचित तरीके से गठित यौन उत्पीड़न समिति का होना व्यर्थ

SC ने कहा कि अनुचित तरीके से गठित यौन उत्पीड़न समिति कार्यस्थल पर जांच करने में एक बाधा होगी. "यह व्यर्थ होगा कि अनुचित तरीके से तैयार कोई समिति आधी-अधूरी जांच कराए, जिसके संबंधित कर्मचारी को बड़ा दंड देने जैसे गंभीर परिणाम हो सकते हैं"

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SC का सख्त निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत संघ, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सत्यापित करने के लिए एक समयबद्ध कवायद करने का निर्देश दिया जाता है कि सभी संबंधित मंत्रालयों, विभागों, सरकारी संगठनों, प्राधिकरणों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, संस्थानों, निकायों आदि में समितियों का गठन हो और उक्त समितियों की संरचना सख्ती से POSH अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप हो

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वेबसाइट पर उपलब्ध हो जानकारी

पीठ ने कहा कि समितियों के गठन और संरचना के संबंध में आवश्यक जानकारी वेबसाइट पर आसानी से उपलब्ध हो

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ऑरेलियानो फर्नांडिस की याचिका पर सुनवाई

SC ने कहा कि प्रस्तुत जानकारी को समय-समय पर अद्यतन भी किया जाए. सुप्रीम कोर्ट का निर्देश गोवा विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष ऑरेलियानो फर्नांडिस की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया. जिन्होंने अपने खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी

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Bombay HC का आदेश रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने गोवा विश्वविद्यालय (अनुशासनात्मक प्राधिकरण) की कार्यकारी परिषद के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी. परिषद ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था और उन्हें भविष्य के रोजगार के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था

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कार्यवाही में प्रक्रियात्मक चूक

शीर्ष अदालत ने जांच की कार्यवाही में प्रक्रियात्मक चूक और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया

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8 weeks के भीतर हलफनामा दायर करें

केंद्र और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को न्यायालय ने निर्देश दिया कि वे आठ सप्ताह के भीतर अनुपालन की रिपोर्ट देने के लिए अपना हलफनामा दाखिल करें

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कड़ाई से हो अनुपालन

साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि फैसले की एक प्रति सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को प्रेषित की जाए जो सभी संबंधित मामलों में इन निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करेंगे

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SC ने की जिम्मेदारी तय

SC ने कहा कि "जारी किए गए निर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना भारत सरकार के मंत्रालयों के सचिवों और प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के मुख्य सचिवों की जिम्मेदारी होगी"

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