केंद्र और राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि वे समयबद्ध तरीके से पड़ताल करें कि सभी मंत्रालयों और विभागों में यौन उत्पीड़न समितियों का गठन किया गया है या नहीं
Image Credit: my-lord.inसमाचार एजेंसी भाषा की माने तो न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि 2013 के यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (POSH) को लागू करने में गंभीर खामियां हैं
Image Credit: my-lord.inSC ने कहा कि अनुचित तरीके से गठित यौन उत्पीड़न समिति कार्यस्थल पर जांच करने में एक बाधा होगी. "यह व्यर्थ होगा कि अनुचित तरीके से तैयार कोई समिति आधी-अधूरी जांच कराए, जिसके संबंधित कर्मचारी को बड़ा दंड देने जैसे गंभीर परिणाम हो सकते हैं"
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत संघ, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सत्यापित करने के लिए एक समयबद्ध कवायद करने का निर्देश दिया जाता है कि सभी संबंधित मंत्रालयों, विभागों, सरकारी संगठनों, प्राधिकरणों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, संस्थानों, निकायों आदि में समितियों का गठन हो और उक्त समितियों की संरचना सख्ती से POSH अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप हो
Image Credit: my-lord.inपीठ ने कहा कि समितियों के गठन और संरचना के संबंध में आवश्यक जानकारी वेबसाइट पर आसानी से उपलब्ध हो
Image Credit: my-lord.inSC ने कहा कि प्रस्तुत जानकारी को समय-समय पर अद्यतन भी किया जाए. सुप्रीम कोर्ट का निर्देश गोवा विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष ऑरेलियानो फर्नांडिस की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया. जिन्होंने अपने खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने गोवा विश्वविद्यालय (अनुशासनात्मक प्राधिकरण) की कार्यकारी परिषद के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी. परिषद ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था और उन्हें भविष्य के रोजगार के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था
Image Credit: my-lord.inशीर्ष अदालत ने जांच की कार्यवाही में प्रक्रियात्मक चूक और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया
Image Credit: my-lord.inकेंद्र और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को न्यायालय ने निर्देश दिया कि वे आठ सप्ताह के भीतर अनुपालन की रिपोर्ट देने के लिए अपना हलफनामा दाखिल करें
Image Credit: my-lord.inसाथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि फैसले की एक प्रति सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को प्रेषित की जाए जो सभी संबंधित मामलों में इन निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करेंगे
Image Credit: my-lord.inSC ने कहा कि "जारी किए गए निर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना भारत सरकार के मंत्रालयों के सचिवों और प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के मुख्य सचिवों की जिम्मेदारी होगी"
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