सामाजिक न्याय का अर्थ है नस्ल, लिंग, धर्म, आय स्तर, जाति आदि में भेदभाव किए बिना सभी के लिए समान अधिकार, व्यवहार, अवसर और उपचार, उपलब्ध हों
Image Credit: my-lord.inसामाजिक न्याय संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है. संविधान के अनुच्छेद 23, 24, 37, 38, 39, 46 आदि में सामाजिक न्याय हेतु बातों का उल्लेख है
Image Credit: my-lord.inइस अनुच्छेद के अनुसार मानव के व्यापार और बेगार या जबरन श्रम पर निषेध है
Image Credit: my-lord.inराज्य के नीति निर्देशक तत्व में निहित सिद्धांतों का अनुप्रयोग और इनमें निहित प्रावधान किसी भी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे, जो देश के शासन में मूलभूत हैं
Image Credit: my-lord.inइस अनुच्छेद के तहत लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए राज्य एक सामाजिक व्यवस्था को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा
Image Credit: my-lord.inराज्य कमजोर वर्ग के लोगों को शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देगा और सभी प्रकार के शोषण से उनकी रक्षा करेगा
Image Credit: my-lord.inअस्पृश्यता का उन्मूलन, अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता भी सामाजिक न्याय का आधार हैं
Image Credit: my-lord.inसदन और विधान सभा में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण, पंचायतों और नगर पालिकाओं में आरक्षण, आदि राजनीतिक समानता को बढ़ावा देता है
Image Credit: my-lord.inमौलिक अधिकार जैसे- समानता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार आदि हर वर्ग के लोगों के लिए न्याय योग्य हैं और यह समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से प्राप्त होते है
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