सामाजिक न्याय और संवैधानिक प्रावधान

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 21 Feb, 2023

सामाजिक न्याय क्या है

सामाजिक न्याय का अर्थ है नस्ल, लिंग, धर्म, आय स्तर, जाति आदि में भेदभाव किए बिना सभी के लिए समान अधिकार, व्यवहार, अवसर और उपचार, उपलब्ध हों

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संवैधानिक प्रावधान

सामाजिक न्याय संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है. संविधान के अनुच्छेद 23, 24, 37, 38, 39, 46 आदि में सामाजिक न्याय हेतु बातों का उल्लेख है

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अनुच्छेद 23

इस अनुच्छेद के अनुसार मानव के व्यापार और बेगार या जबरन श्रम पर निषेध है

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अनुच्छेद 37

राज्य के नीति निर्देशक तत्व में निहित सिद्धांतों का अनुप्रयोग और इनमें निहित प्रावधान किसी भी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे, जो देश के शासन में मूलभूत हैं

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अनुच्छेद 38

इस अनुच्छेद के तहत लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए राज्य एक सामाजिक व्यवस्था को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा

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अनुच्छेद 46

राज्य कमजोर वर्ग के लोगों को शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देगा और सभी प्रकार के शोषण से उनकी रक्षा करेगा

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सामाजिक सुरक्षा

अस्पृश्यता का उन्मूलन, अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता भी सामाजिक न्याय का आधार हैं

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राजनीतिक सुरक्षा

सदन और विधान सभा में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण, पंचायतों और नगर पालिकाओं में आरक्षण, आदि राजनीतिक समानता को बढ़ावा देता है

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मौलिक अधिकार

मौलिक अधिकार जैसे- समानता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार आदि हर वर्ग के लोगों के लिए न्याय योग्य हैं और यह समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से प्राप्त होते है

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