CrPC की धारा 164 के तहत दर्ज बयान का महत्व

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 18 Apr, 2023

क्या है CrPC की धारा 164?

महानगर मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने स्वीकारोक्ति या इक़बालिया बयान को CrPC के section 164 के तहत दर्ज करते हैं

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CrPC की धारा 164 की उपधारा 1

ये उपधारा मजिस्ट्रेट को किसी भी मामले में (अधिकार क्षेत्र से बाहर के भी) स्वीकारोक्ति (Confession) दर्ज कराने की छूट देती है

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मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयान क्यों जरूरी

बयान देने वाला बयान बाद में बदल ना सके इसके लिए मजिस्ट्रेट के सामने CrPC की धारा 164 के तहत दर्ज बयान जरूरी

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मजबूर करके नहीं हो सकता बयान दर्ज

CrPC धारा 164 की उपधारा 2 के अनुसार, मजिट्रेट को अभियुक्त को यह समझाना होता है कि उसे ये स्वीकारोक्ति देने के लिए बाध्य नहीं किया गया है

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पुलिस नहीं डाल सकती दबाव

CrPC की धारा 164 की उपधारा 3 के अनुसार व्यक्ति अगर राजी नहीं है तो पुलिस बयान के लिए दबाव नहीं डाल सकती. साथ ही प्रारंभिक पूछताछ और स्वीकारोक्ति का अंतराल भी 24 घंटे से कम नहीं हो सकता

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बलात्कार में भी बयान दर्ज

CrPC धारा 164 की उपधारा 164 (5A) के तहत बलात्कार के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता का बयान दर्ज कराना सम्बंधित पुलिस द्वारा जरुरी होता है

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