सुप्रीम कोर्ट ने Tamil Nadu Highways Act की वैधता पर मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि एक राज्य का कानून केंद्रीय कानून के विपरीत हो सकता है लेकिन भारत के राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त होने के बाद अनुच्छेद 254 (2) के तहत संरक्षित रहेगा
Image Credit: my-lord.inजस्टिस दिनेश माहेश्वरी और पीवी संजय कुमार की पीठ ने इसके साथ ही Tamil Nadu Highways Act की वैधता को बरकरार रखा है
Image Credit: my-lord.inपीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस अधिनियम को इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है कि इसके प्रावधान केंद्रीय कानून के प्रावधानों के साथ भेदभाव करते हैं या मनमाने है
Image Credit: my-lord.inपीठ ने कहा "संविधान के अनुच्छेद 254 (2) का आधार ये है कि राजमार्ग अधिनियम का उद्देश्य है कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाओं को टाला जा सकने योग्य विलंबों के कारण लंबा या बाधित नहीं किया जाना चाहिए
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट मद्रास हाईकोर्ट के वर्ष 2019 में दिए गए फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था, मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अधिनियम की वैधता को यह कहते हुए बरकरार रखा था कि यह किसी भी अंतर्निहित मनमानी से ग्रस्त नहीं है
Image Credit: my-lord.inअपील के लंबित रहने के दौरान, तमिलनाडु सरकार ने एक मान्यकरण अधिनियम पारित किया था, जिसे बाद में राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया था. इसे राजमार्ग अधिनियम को 2013 LA Act के दायरे से बाहर कर दिया था
Image Credit: my-lord.inअपीलकर्ताओं ने Tamil Nadu Highways Act में किसी भी समय सीमा की कमी के आधार पर चुनौती दी गयी थी
Image Credit: my-lord.inहाईकोर्ट ने अपने आदेश में इसे स्वीकार करते हुए कहा था कि Tamil Nadu Highways Act के तहत भूमि के अधिग्रहण में देरी के किसी भी मामले को उसके गुणों के आधार पर निपटाया जाना चाहिए और यह कानून को अमान्य करने के लिए अपने आप में पर्याप्त आधार नहीं हो सकता है
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