असम, आंध्र प्रदेश और राजस्थान राज्यों ने अपने केंद्र सरकार के पत्र के जवाब में अपने विचार व्यक्त करते हुए इस तरह के विवाह की वैधता का विरोध किया है
Image Credit: my-lord.inआंध्र प्रदेश राज्य ने अपने जवाब में कहा है कि उसने राज्य में विभिन्न धर्मों के धार्मिक प्रमुखों से परामर्श किया था, जिनमें से सभी ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता दिए जाने का विरोध किया है
Image Credit: my-lord.inराजस्थान राज्य ने अपने जवाब में कहा कि समलैंगिक विवाह सामाजिक ताने-बाने में असंतुलन पैदा करेगा, जिसके सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था के लिए दूरगामी परिणाम होंगे
Image Credit: my-lord.inCJI ने कहा कि "एक अकेला व्यक्ति भी बच्चे को गोद ले सकता है. वह एकल यौन संबंध में हो सकता है.आप जैविक जन्म के लिए सक्षम होने पर भी गोद ले सकते हैं। जैविक जन्म लेने की कोई बाध्यता नहीं है”
Image Credit: my-lord.inNCPCR की ओर से CJI की पीठ के समक्ष सुनवाई में कहा गया कि बच्चे का कल्याण सर्वोपरि है, विभिन्न कानूनों में कानूनी स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है कि यह कई निर्णयों में आयोजित किया गया है कि गोद लेना बच्चे का मौलिक अधिकार नहीं है
Image Credit: my-lord.inसमलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता को लेकर लगातार सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट में CJI डी वाई चन्द्रचूड़ की संविधान पीठ से CJI चंद्रचूड़ को अलग करने की भी मांग की गयी है
Image Credit: my-lord.inयाचिकाकर्ता के इस अनुरोध का केन्द्र सरकार के सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने भी विरोध किया, जिसके बाद CJI डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया
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