पितृ हत्या की अभियुक्त पुत्री को कोर्ट ने इस वजह से किया बरी

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 04 Jul, 2023

हाईकोर्ट का फैसला

हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पिता के हत्या के आरोपी बेटी को मिली सजा को रद्द करते हुए कहा कि अदालतों ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए चूक की है, याची को दोषी करार देने के लिए सबूत काफी नहीं है

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पिता की सोते हुए हत्या

अगस्त 2003 की रात को याची के पिता व उसके अन्य परिजन छत पर सो रहे थे, इस दौरान दो लोगों ने वहां पहुंच कर याची के पिता की हत्या कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने पहले अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया था

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बेटी पर हत्या का आरोप

पुलिस ने इस मामले में जांच आगे बढ़ाई और याची को इस मामले में आरोपी बनाया, पुलिस के अनुसार प्रेम प्रसंग के कारण याची ने अपने साथियों के साथ मिल कर पिता की हत्या की थी, और पुलिस ने याची को गिरफ्तार कर लिया

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जुवेनाइल कोर्ट में दोषी

जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट ने इस मामले में बेटी को दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा सुनाई थी

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याचिकाकर्ता का दावा

याचिकाकर्ता के अनुसार पिता की 16 अगस्त 2003 को अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी थी, इस घटना के समय उसकी आयु 16 वर्ष 4 माह थी, जुवेनाइल कोर्ट के फैसले के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील दाखिल की गई थी जिसे 2007 में खारिज कर दिया गया

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याचिकाकर्ता ने कबूल की थी हत्या की बात

अभियोजन पक्ष के अनुसार, घटना के 8-10 दिनों के बाद याची ने गुरदेव सिंह नामक व्यक्ति को "अतिरिक्त न्यायिक बयान" दिया, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह उसके परिवार का करीबी था, कबूलनामे में उसने कथित तौर पर अपने प्रेमी गुरिंदर सिंह उर्फ गोल्डी के कहने पर अपने पिता की हत्या करने की बात स्वीकार की थी

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हत्या की साजिश

पिता ने बेटी को स्कूल जाने से रोकने की कोशिश की, बाद में वह लड़के गुरिंदर सिंह से मिली और उसने कथित तौर पर उससे कहा कि वह उसे लगभग 100 की संख्या में कुछ गोलियां देगा और वह उन्हें खाने में मिलाकर परिवार के सदस्यों को दे दे, जब वे बेहोश हो जाएं तो उसे अपने दादा की बंदूक उठानी चाहिए और अपने पिता को गोली मारनी चाहिए, ऐसा गुरिंदर सिंह ने उसे बताया था

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इन धाराओं के तहत सजा

अदालत प्रधान मजिस्ट्रेट, किशोर न्याय बोर्ड, फरीदकोट द्वारा पारित फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता द्वारा दायर अपील खारिज करने के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसे आईपीसी की धारा 302 और आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई

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