दंड प्रक्रिया संहिता में कुछ अपराध बहुत ही गंभीर प्रवृत्ति के होते है और कुछ मामूली किस्म के. इन बातों को ध्यान में रखते हुए, सीआरपीसी में अपराध कि गंभीरता को देखते हुए इसे दो वर्गों में विभाजित किया गया है
Image Credit: my-lord.inसंज्ञेय और असंज्ञेय अपराध की परिभाषा आपराधिक प्रकिया संहिता ( 1973) की धारा 2 (सी) और 2 (एल) में दी गई है
Image Credit: my-lord.inधारा 2 (सी) कहती है कि ऐसा अपराध जिसमें पुलिस किसी व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है, वह संज्ञेय अपराध कहलाता है। पुलिस के पास संज्ञेय अपराधों में बिना वारंट गिरफ्तार करने के अधिकार है ।
Image Credit: my-lord.inअगर आपको यह जानना है कि संज्ञेय अपराध कौन से हैं तो आपको क्रीमिनल प्रोसिजर कोड (सीआरपीसी 1973) का शेड्यूल 1 देखना होगा जिसमें भारतीय़ दंड संहिता की धारा हत्या(300) , बलात्कार (376), दहेज़ (304-ब), अपहरण (361), दंगा(146) करना आदि को संज्ञेय अपराध की सूची में रखा गया है
Image Credit: my-lord.inCrPC की धारा 2 (एल) कहती है कि ऐसे अपराध जिनमें पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है, वे अपराध असंज्ञेय अपराध कहलाते हैं, जैसे किसी की धार्मिक भावना को कुछ शब्दों से भड़काना
Image Credit: my-lord.inआईपीसी कि धारा 312 के अनुसार किसी का गर्भपात करवाना असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है, इसके अलावा (191) झूठे साक्ष्य देना, (420) धोखाधड़ी, (499) मानहानि जैसे अपराध को असंज्ञेय अपराधों की श्रेणी में रखा गया है
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