अपराध की प्रवृत्ति और कानून में सजा का प्रावधान

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 26 Jun, 2023

CrPC में अपराधों का विभाजन

दंड प्रक्रिया संहिता में कुछ अपराध बहुत ही गंभीर प्रवृत्ति के होते है और कुछ मामूली किस्म के. इन बातों को ध्यान में रखते हुए, सीआरपीसी में अपराध कि गंभीरता को देखते हुए इसे दो वर्गों में विभाजित किया गया है

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संज्ञेय और असंज्ञेय

संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध की परिभाषा आपराधिक प्रकिया संहिता ( 1973) की धारा 2 (सी) और 2 (एल) में दी गई है

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बिना वारंट के गिरफ़्तारी

धारा 2 (सी) कहती है कि ऐसा अपराध जिसमें पुलिस किसी व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है, वह संज्ञेय अपराध कहलाता है। पुलिस के पास संज्ञेय अपराधों में बिना वारंट गिरफ्तार करने के अधिकार है ।

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संज्ञेय अपराध

अगर आपको यह जानना है कि संज्ञेय अपराध कौन से हैं तो आपको क्रीमिनल प्रोसिजर कोड (सीआरपीसी 1973) का शेड्यूल 1 देखना होगा जिसमें भारतीय़ दंड संहिता की धारा हत्या(300) , बलात्कार (376), दहेज़ (304-ब), अपहरण (361), दंगा(146) करना आदि को संज्ञेय अपराध की सूची में रखा गया है

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असंज्ञेय अपराध

CrPC की धारा 2 (एल) कहती है कि ऐसे अपराध जिनमें पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है, वे अपराध असंज्ञेय अपराध कहलाते हैं, जैसे किसी की धार्मिक भावना को कुछ शब्दों से भड़काना

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गर्भपात करवाना असंज्ञेय अपराध

आईपीसी कि धारा 312 के अनुसार किसी का गर्भपात करवाना असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है, इसके अलावा (191) झूठे साक्ष्य देना, (420) धोखाधड़ी, (499) मानहानि जैसे अपराध को असंज्ञेय अपराधों की श्रेणी में रखा गया है

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