प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट (POSH Act) ही वह कानून है जो दफ्तर में महिलाओं की यौन उत्पीड़न से सुरक्षा के लिए बनाया गया है
Image Credit: my-lord.inPOSH Act साल 2013 में बनाया गया था जिसका उद्देश्य है देश में वर्क प्लेस पर महिलाओं के खिलाफ बढ़ते यौन उत्पीड़न पर रोकथाम
Image Credit: my-lord.inइस कानून के तहत हर कंपनी में 10 सदस्यों की कमेटी, हेड महिला ही होनी चाहिए, बनाना अनिवार्य. यह कमेटी उस जगह या कंपनी में काम कर रहीं महिलाओं की शारीरिक और यौन उत्पीड़न जैसी समस्याओं को सुनेगी
Image Credit: my-lord.inउस कमेटी के पास इतनी पावर होगी, जितनी सिविल कोर्ट के पास होती है. ये कमेटी विक्टिम का बयान ले सकती है, मामले से जुड़े सबूतों और गवाहों की जांच भी कर सकती है
Image Credit: my-lord.inअगर कमेटी किसी को दोषी पाती है तो वह उचित कार्रवाई के लिए अदालत और पुलिस को सूचित कर सकती है
Image Credit: my-lord.inकमेटी दोषी के खिलाफ टर्मिनेशन जैसी कार्रवाई भी कर सकती है. यह राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि इस कानून का जमीनी स्तर पर भी पालन हो
Image Credit: my-lord.inहाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के लागू होने एक दशक बाद भी इसे लागू करने में "गंभीर चूक" बताया
Image Credit: my-lord.inSC ने एक राष्ट्रीय दैनिक की हालिया रिपोर्ट पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया था कि देश के 30 राष्ट्रीय खेल संघों में से 16 ने आज तक आंतरिक शिकायत समिति का गठन नहीं किया है
Image Credit: my-lord.inजस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने इसे "दुखद स्थिति" करार दिया. साथ ही पीओएसएच अधिनियम के कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए कई निर्देश जारी किए
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