आये दिन बाल यौन शोषण से जुड़े अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं. जिसे रोकने के लिए Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) बनाया गया है
Image Credit: my-lord.inPOCSO की धारा 21 के तहत इस तरह के अपराध की सूचना ना देना भी एक अपराध है
Image Credit: my-lord.inअगर कोई पॉक्सो की धारा 19 और 20 में बताए गए अपराधों की रिपोर्ट करने में विफल रहेगा तो उसे दोषी मान कर छह महीने तक की जेल या जुर्माना देना पड़ सकता है या फिर दोनों ही सजा हो सकती है
Image Credit: my-lord.inधारा 21 के उपधारा 2 के अनुसार कंपनी या संस्था अपने किसी कर्मचारी के द्वारा धारा 19 के उपधारा 1 में बताए गए अपराध को करने पर, इस बारे में छिपाने वाले व्यक्ति को एक वर्ष तक के लिए कारावास की सजा और जुर्माने से दंडित किया जाएगा
Image Credit: my-lord.inयह एक जमानती अपराध है यानी बेल मिल जाती है. केरल हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि धारा 21 के तहत दर्ज मामला जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा. मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस की पीठ ने कहा था कि यह धारा 21, धारा 19 और धारा 20 में बताए गए नियमों के उल्लंघन को दंडनीय बनाती है
Image Credit: my-lord.inकर्नाटक हाईकोर्ट ने स्त्री रोग विशेषज्ञ के खिलाफ पॉक्सो कानून की धारा 21 के तहत दर्ज आरोपों को खत्म करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया
Image Credit: my-lord.inएक नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न हुआ था. याचिकाकर्ता ने पुलिस को सूचना दिए बगैर ही नाबालिग पीड़िता की प्रेगनेंसी को टर्मिनेट कर दिया था. डॉक्टर के खिलाफ एक महीने बाद पॉक्सो की धारा 21 के तहत शिकायत दर्ज किया गया था
Image Credit: my-lord.inजस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को केवल इसलिए माफ नहीं किया जा सकता क्योंकि इस अपराध की सजा छह महीने है या फिर बतौर एक स्त्री रोग विशेषज्ञ उन्होने सालों से जिम्मेदारी से काम किया है. बल्कि एक जिम्मेदार डॉक्टर होने के नाते उन्हे और ज्यादा सतर्क रहना चाहिए
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