मुस्लिम दंपत्ति को इस एक्ट के तहत ही लेना होगा बच्चा गोद: कोर्ट

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 29 May, 2023

उड़ीसा हाईकोर्ट का फैसला

उड़ीसा हाईकोर्ट ने हाल ही में बच्चा गोद लेने से संबंधित मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि मुस्लिम अपने व्यक्तिगत कानूनों के तहत नाबालिग बच्चे को गोद लेने की मांग नहीं कर सकते हैं, उन्हे भी किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) (जेजे एक्ट) के नियमों का पालन करना होगा

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अदालत का आदेश

जस्टिस सुभाशीष तालापात्रा और जस्टिस सावित्री राठो की खंडपीठ ने यह टिप्पणी बच्चे को गोद लेने का दावा करने वाले दंपति से नाबालिग लड़की को उसके पिता के पास बहाल करने का आदेश पारित करते हुए किया

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इस्लामिक देशों के नियम का हवाला

अदालत के अनुसार, आमतौर पर इस्लामिक देशों में गोद लेने के बजाय नाबालिग को संरक्षण प्रदान की जाती है ताकि उनकी देखभाल और सुरक्षा होती रहे. इस प्रकार, गोद लेने का दावा कानून में टिकाऊ नहीं है"

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याचिकाकर्ता का दावा

याचिकाकर्ता ने एक रिट याचिका दायर कर अपनी नाबालिग बेटी की कस्टडी बहाल करने की मांग की थी. याचिका में नाबालिग, जो वर्तमान में लगभग 12 वर्ष की है, उसे वर्ष 2015 से अवैध रूप से प्रतिवादी द्वारा कस्टडी में रखा गया है

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बेटी से मिलने पर रोक

याचिकाकर्ता के मुताबिक कई प्रयासों के बाद भी उन्हे अपनी बेटी से नहीं मिलने दिया गया. पुलिस और बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee) में शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई

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मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत गोद लेने की मान्यता नहीं

याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत गोद लेने की मान्यता नहीं है. यहां तक कि 'रिश्तेदारी संबंध' को भी नया और स्थायी पारिवारिक संबंध बनाने के लिए मान्यता नहीं दी जाती है

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मुस्लिम कानून में गोद लेने की कोई प्रथा नहीं

कोर्ट के अनुसार हिंदू कानून के विपरीत मुस्लिम कानून में बच्चे को गोद लेने की कोई प्रथा नहीं है, जिसे पक्षकारों द्वारा विधिवत स्वीकार किया गया है. जेजे एक्ट में गोद लेने की विस्तृत प्रक्रिया प्रदान की गई है, जिसका उपयोग मुसलमानों द्वारा भी किया जा सकता है

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SC का ऐतिहासिक फैसले

सुनवाई के दौरान शबनम हाशमी बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का भी जिक्र अदालत ने किया

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JJ Act, 2000

हमारे देश में बच्चा गोद लेने से संबंधित कई नियम किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) (जेजे एक्ट), 2000 के धारा 41 में निर्धारित किए गए हैं

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बच्चे की कस्टडी अवैध

अदालत ने कहा कि "गोद न लेने की स्थिति में नाबालिग बच्चे की कस्टडी को अवैध कस्टडी कहा जा सकता है"

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बच्चे का 'सर्वोत्तम हित'

अदालत ने कहा कि लंबे समय से साथ रहने के कारण नाबालिग को प्रतिवादी के प्रति भावनात्मक संबंध उत्पन्न हो गए हैं लेकिन याचिकाकर्ता के अधिकार और बच्चे के 'सर्वोत्तम हित' के लिए नाबालिग की कस्टडी याचिकाकर्ता के पास होनी चाहिए

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बच्चे की कस्टडी बरकरार नहीं रख सकते

अदालत के अनुसार "सिर्फ इसलिए कि प्रतिवादी ने कुछ समय या लंबे वक्त तक बच्चे की देखभाल की है, वे बच्चे की कस्टडी को बरकरार नहीं रख सकते. अगर याचिकाकर्ता को कस्टडी बहाल नहीं की जाती है, तो अदालत बच्चे और माता-पिता दोनों को वंचित कर देगी

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