मृत बेटी की संपत्ति पर मां का अधिकार

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 02 May, 2023

क्या है मामला?

अन्नादुरई ने वर्ष 1991 में सरस्वती से शादी करने के कुछ साल बाद ही विवाद के चलते अलग हो गए. विवाद के बाद याचिकाकर्ता अन्नादुरई ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निचली अदालत में तलाक की याचिका दायर की

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मासिक भरण-पोषण

तलाक के बाद याचिकाकर्ता की पत्नी सरस्वती ने भरण-पोषण के लिए अदालत में याचिका दायर, जिस पर अदालत ने अन्नादुरई को 7500 रुपये मासिक भरण-पोषण देने का निर्देश दिया

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सरस्वती की मृत्यु

भरण-पोषण के बकाया की वसूली के लिए सरस्वती ने 6,37,500 रुपये के बकाए का दावा करते हुए निचली अदालत में एक और याचिका दायर की लेकिन आवेदन के अदालत में लंबित रहने के दौरान ही सरस्वती की मृत्यु हो गयी

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मां की ओर से दायर याचिका

मां की ओर से उसे याचिकाकर्ता के रूप में शामिल करने और बकाया राशि वसूल करने की अनुमति देने के लिए एक याचिका दायर की, निचली अदालत ने मृतक बेटी की मां के इस आवेदन को अनुमति दी

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आदेश का विरोध

अन्नादुरई ने विरोध करते हुए तर्क दिया कि भरण-पोषण सरस्वती का व्यक्तिगत अधिकार था और मृत्यु के बाद उसकी मां को यह अधिकार नहीं दिया जा सकता

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हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 (1) (C)

मृतक बेटी की मां की ओर से अदालत में कहा गया कि बकाया राशि उनकी बेटी की संपत्ति थी और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 (1) (सी) के तहत, बेटे और बेटियों की अनुपस्थिति में मां अपनी मृत बेटी की उत्तराधिकारी है

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मां संपत्ति की हकदार

हाईकोर्ट ने कहा कि जीवित रहते भरण-पोषण का बकाया मृत बेटी की संपत्ति थी और उसकी मृत्यु के बाद, कानूनी अभिभावक होने के नाते उसकी मां इस संपत्ति की हकदार है

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