'मैटरनिटी लीव कामकाजी महिला के लिए एक मौलिक अधिकार'

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 20 Jun, 2023

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट की खास टिप्पणी

मातृत्व अवकाश से जुड़े एक मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि मातृत्व अवकाश कामकाजी महिला के लिए एक मौलिक अधिकार है. इससे वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 29 और 39 का उल्लंघन

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क्या था मामला?

एक दैनिक वेतन भोगी महिला कर्मचारी ने 1996 में बच्चे को जन्म देने के बाद तीन महीने के लिए मातृत्व अवकाश लिया था. गर्भावस्था और प्रसव के कारण, उसने एक साल में 240 दिनों के बजाय 156 दिन ही काम किए. जिसके कारण महिला को लाभ नहीं मिला

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डीम्ड मैटरनिटी लीव का लाभ

हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने महिला को डीम्ड मैटरनिटी लीव का लाभ देते हुए कहा था कि मातृत्व अवकाश को औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25(B)(1) के तहत निरंतर सेवा माना जाना चाहिए. इस आदेश को राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी

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मातृत्व की गरिमा की रक्षा

मामले की सुनवाई कर रहें जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने कहा हर कामकाजी महिला को प्रेगनेंसी के दरमियान अवकाश लेने का अधिकार इसलिए दिया गया है ताकि मातृत्व की गरिमा की रक्षा की जा सके,साथ ही महिला और उसके बच्चे दोनों की भलाई सुनिश्चित किया जा सके

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अनुच्छेद 29 और 39

अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा से संबंधित है वहीं अनुच्छेद 39(D) सभी नागरिकों के लिए आजीविका के पर्याप्त साधनों से जुड़ा है

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हर कामकाजी महिला को यह हक

कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम बनाम महिला श्रमिक (मस्टर रोल) और अन्य (2000) का जिक्र करते हुए कहा मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत नियमित और दैनिक दोनों तरह के वेतन पाने वाली महिला को इस अवकाश का लाभ पाने का हक है

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