महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर Supreme Court ने अपना फैसला सुना दिया. सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता में गठित 5 सदस्य संविधान पीठ इस पर सुनवाई कर रही थी
Image Credit: my-lord.inगुरूवार को संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि है 2016 का नबाम रेबिया मामला, जिसमें कहा गया था कि स्पीकर को अयोग्य ठहराने की कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है, जब उनके निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है, तो एक बड़ी पीठ को भेजे जाने की आवश्यक्ता है
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में फ्लोर टेस्ट जरूरी नही था, फलोर टेस्ट का कोई आधार नही था क्योकि विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव नहीं दिया था
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि उद्वव को दोबारा सीमए बनाने का सवाल नहीं है ,अयोग्यता के मामले पर सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं ले सकती है. पीठ ने कहा कि राज्यपाल द्वारा उद्धव को बुलाने का फैसला गलत था और हम पुरानी स्थिती को बहाल नहीं कर सकते
Image Credit: my-lord.inपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि स्पीकर को हटाने का नोटिस अयोग्यता नोटिस जारी करने के लिए स्पीकर की शक्तियों को प्रतिबंधित करेगा या नहीं, जैसे मुद्दों को बड़ी बेंच द्वारा जांच की जरूरत है.
Image Credit: my-lord.in1. पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए कहने के फैसले की वैधता
Image Credit: my-lord.inबागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए कहने के राज्यपाल के फैसले की वैधता
Image Credit: my-lord.inसंविधान की दसवीं अनुसूची के तहत काम करने के लिए अध्यक्ष की शक्ति और क्या उन्हें दल-बदल विरोधी कानून के तहत कार्य करने से अक्षम किया जा सकता है अगर उनके पद से हटाने की मांग का नोटिस लंबित है
Image Credit: my-lord.inराजनीतिक दल के विधायकों (विधायी विंग) के भीतर विभाजन की स्थिति में राजनीतिक दल का कौन सा गुट वास्तविक राजनीतिक दल होने का दावा कर सकता है
Image Credit: my-lord.inक्या नबाम रेबिया मामले (अरुणाचल प्रदेश में 2016 के राजनीतिक संकट से संबंधित) में पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा 2016 के SC के फैसले में यह फैसला दिया गया था कि एक अध्यक्ष दल-बदल को रोकने के लिए दसवीं अनुसूची के तहत कार्य करने में अक्षम है, इस पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है और सात जजों की बेंच को रेफर कर दिया
Image Credit: my-lord.inक्या शिंदे कैंप के 40 विधायकों को दलबदल कानून के तहत किसी दूसरी पार्टी में विलय करना चाहिए था? वह दूसरी पार्टी के समर्थन से खुद सरकार नहीं बना सकते थे?
Image Credit: my-lord.inमुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई की थी
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने शिंदे गुट की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि व्हिप का अधिकार पार्टी के नेता को है, विधायक दल के नेता कोई अधिकार नही है
Image Credit: my-lord.inवर्ष 2022 में शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विधायकों की बगावत के बाद महाराष्ट्र के तत्कालिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था. इस्तिफे के बाद शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हुआ था
Image Credit: my-lord.inइस पूरे घटनाक्रम के दौरान जून और जुलाई, 2022 में दाखिल सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाए दायर की गयी. अगस्त 2022 में सीजेआई ने इस मामले को संविधान पीठ को सौंपा था
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