जानें किन अपराधों में होती है फांसी की सजा

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 02 Feb, 2023

इन अपराधों में होती है फांसी

हमारे देश में दुष्कर्म, हत्या, सामुहिक हत्या, देश पर हमला, देश की सुरक्षा के साथ हमला, मासूम बच्चों के साथ दुष्कर्म और हत्या सहित कई गंभीर मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान है.

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दुष्कर्म की सजा

12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म करने पर IPC की धारा 376 व 375 के तहत मौत की सजा का प्रावधान किया गया है.

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बार—बार दुष्कर्म

बार-बार दुष्कर्म करने के दोषी अपराधी के लिए भी आईपीसी की "धारा 376 (ई)" के तहत मौत की सज़ा दी जाती है.

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युद्ध छेड़ने पर

सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध की कोशिश करने वाले व्यक्ति को IPC की "धारा 121" के तहत मौत की सजा का प्रावधान है,

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सेना पर सजा

सेना, वायुसेना, नौसेना या सैनिक सरकार के खिलाफ अपने साथियों या आम लोगों को सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसाता है और विद्रोह भड़क जाता है तो "धारा 132" के तहत मौत की सजा का प्रावधान हैं.

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झूठे सबूत से फांसी

अगर किसी झूठे सबूत के कारण निर्दोष को फांसी हो जाती है तो झूठे सबूत देने वाले व्यक्ति को "धारा 194" के तहत मृत्युदंड की सजा दी जाती है.

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हत्या करने

अगर कोई किसी व्यक्ति की हत्या कर देता है तो उसपर IPC की "धाारा 302" के तहत मौत की सजा दी जा सकती हैं.

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जेल में हत्या

आजीवन कारावास की सजा पाया व्यक्ति किसी की हत्या कर देता है तो "धारा 303" के तहत उसे मौत की सजा दी जाएगी.

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बच्चों की आत्महत्या

कोई व्यक्ति 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को आत्महत्या के लिए उकसाता है और उसकी जान चली जाती है तो दोषी को आईपीसी की "धारा 305" के तहत सजा-ए-मौत हो सकती है.

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पागल की आत्महत्या

अगर कोई पागल या मंदबुद्धि किसी व्यक्ति के बातों में आकर आत्महत्या करता है और उसकी मौत हो जाती है तो कोर्ट दोषी को मौत की सजा दे सकती है.

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डकैती में मौत

अगर किसी डकैती में 5 या उससे अधिक लोग शामिल हैं और उनमें से कोई किसी निर्दोष की हत्या कर दें तो सभी डकैतों को IPC की "धारा 396" के तहत मौत की सजा हो सकती है.

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दोबारा हत्या की कोशिश

अगर कोई व्यक्ति हत्या के प्रयास का दोषी ठहराए जाने के बाद सजा के दौरान फिर किसी की हत्या की कोशिश करता है तो "धारा 307" के तहत उसे फांसी की सजा दी जा सकती है.

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भारतीय रेल अधिनियम

अगर कोई व्यक्ति ट्रेन को नुकसान पहुंचाता है या यात्रियों की जान के साथ खेलवाड़ करता है तो भारतीय रेल अधिनियम की "धारा 124" के तहत उसे मौत की सजा दी जा सकती है.

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विशेष अधिकार

आपातकाल में प्रभावी होने वाले डिफेंस आफ इंडिया एक्ट की "धारा 18-2" के तहत विशेष कोर्ट को फांसी की सजा देने का अधिकार होता है.

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बिना मंजूरी नहीं होगी सजा

इन सभी धाराओं में तब तक फांसी नहीं दी जा सकती जब तक कि आईपीसी की "धारा 433" के तहत हाईकोर्ट मौत की सजा की पुष्टि नहीं करता.

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बचाव

हाईकोर्ट द्वारा मौत की सजा की पुष्टि करने के बाद भी एक दोषी के पास बचाव के अंतिम रास्ते होते है.

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दया याचिका

सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के साथ ही राष्ट्रपति के समक्ष भी दया याचिका का विकल्प रहता है.

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फांसी की पुष्टि

राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ठुकराने के बाद अपराधी को हर हाल में फांसी दी जाती है.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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