हमारे देश में दुष्कर्म, हत्या, सामुहिक हत्या, देश पर हमला, देश की सुरक्षा के साथ हमला, मासूम बच्चों के साथ दुष्कर्म और हत्या सहित कई गंभीर मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान है.
Image Credit: my-lord.in12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म करने पर IPC की धारा 376 व 375 के तहत मौत की सजा का प्रावधान किया गया है.
Image Credit: my-lord.inबार-बार दुष्कर्म करने के दोषी अपराधी के लिए भी आईपीसी की "धारा 376 (ई)" के तहत मौत की सज़ा दी जाती है.
Image Credit: my-lord.inसरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध की कोशिश करने वाले व्यक्ति को IPC की "धारा 121" के तहत मौत की सजा का प्रावधान है,
Image Credit: my-lord.inसेना, वायुसेना, नौसेना या सैनिक सरकार के खिलाफ अपने साथियों या आम लोगों को सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसाता है और विद्रोह भड़क जाता है तो "धारा 132" के तहत मौत की सजा का प्रावधान हैं.
Image Credit: my-lord.inअगर किसी झूठे सबूत के कारण निर्दोष को फांसी हो जाती है तो झूठे सबूत देने वाले व्यक्ति को "धारा 194" के तहत मृत्युदंड की सजा दी जाती है.
Image Credit: my-lord.inअगर कोई किसी व्यक्ति की हत्या कर देता है तो उसपर IPC की "धाारा 302" के तहत मौत की सजा दी जा सकती हैं.
Image Credit: my-lord.inआजीवन कारावास की सजा पाया व्यक्ति किसी की हत्या कर देता है तो "धारा 303" के तहत उसे मौत की सजा दी जाएगी.
Image Credit: my-lord.inकोई व्यक्ति 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को आत्महत्या के लिए उकसाता है और उसकी जान चली जाती है तो दोषी को आईपीसी की "धारा 305" के तहत सजा-ए-मौत हो सकती है.
Image Credit: my-lord.inअगर कोई पागल या मंदबुद्धि किसी व्यक्ति के बातों में आकर आत्महत्या करता है और उसकी मौत हो जाती है तो कोर्ट दोषी को मौत की सजा दे सकती है.
Image Credit: my-lord.inअगर किसी डकैती में 5 या उससे अधिक लोग शामिल हैं और उनमें से कोई किसी निर्दोष की हत्या कर दें तो सभी डकैतों को IPC की "धारा 396" के तहत मौत की सजा हो सकती है.
Image Credit: my-lord.inअगर कोई व्यक्ति हत्या के प्रयास का दोषी ठहराए जाने के बाद सजा के दौरान फिर किसी की हत्या की कोशिश करता है तो "धारा 307" के तहत उसे फांसी की सजा दी जा सकती है.
Image Credit: my-lord.inअगर कोई व्यक्ति ट्रेन को नुकसान पहुंचाता है या यात्रियों की जान के साथ खेलवाड़ करता है तो भारतीय रेल अधिनियम की "धारा 124" के तहत उसे मौत की सजा दी जा सकती है.
Image Credit: my-lord.inआपातकाल में प्रभावी होने वाले डिफेंस आफ इंडिया एक्ट की "धारा 18-2" के तहत विशेष कोर्ट को फांसी की सजा देने का अधिकार होता है.
Image Credit: my-lord.inइन सभी धाराओं में तब तक फांसी नहीं दी जा सकती जब तक कि आईपीसी की "धारा 433" के तहत हाईकोर्ट मौत की सजा की पुष्टि नहीं करता.
Image Credit: my-lord.inहाईकोर्ट द्वारा मौत की सजा की पुष्टि करने के बाद भी एक दोषी के पास बचाव के अंतिम रास्ते होते है.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के साथ ही राष्ट्रपति के समक्ष भी दया याचिका का विकल्प रहता है.
Image Credit: my-lord.inराष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ठुकराने के बाद अपराधी को हर हाल में फांसी दी जाती है.
Image Credit: my-lord.inपढ़ने के लिए धन्यवाद!