IPC के तहत शील को संयम और सरलता के रूप में परिभाषित किया है. शील महिलाओं की वो भावना है जो एक महिला होने के नाते वो महसूस करती है.
Image Credit: my-lord.inलज्जा केवल शारीरिक शील तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें नैतिक और मनोवैज्ञानिक शील भी शामिल है. एक महिला की मनोवैज्ञानिक शील को उसके स्वाभिमान और गरिमा की सहज भावना कहा जाता है.
Image Credit: my-lord.inअगर कोई व्यक्ति किसी महिला पर हमला करता है या अपराधिक बल का उपयोग करता है, अपमान करने का इरादा रखता है या यह जानता है कि वह महिला की शील यानी लज्जा को भंग कर देगा तो उसे दोषी माना जाएगा.
Image Credit: my-lord.inIPC की धारा 354 के तहत शील भंग करना एक संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनीय अपराध है. अपराध साबित होने पर अदालत अपराधी को 1 साल से लेकर 5 साल तक जेल की सजा सुना सकती है और जुर्माना भी लग सकता है.
Image Credit: my-lord.inअदालत अगर चाहे तो उसके पास यह अधिकार है कि दोषी को अतिरिक्त दंड दे सकता है जैसे- सामुदायिक सेवा, परामर्श और पुनर्वास कार्यक्रम.
Image Credit: my-lord.inIPC की धारा 509 के अनुसार जो कोई भी किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के आशय से कोई शब्द कहेगा, कोई ध्वनि निकालेगा, या कोई वस्तु प्रदर्शित करेगा, वह दोषी माना जाएगा.
Image Credit: my-lord.inकिसी महिला या लड़की को देखकर कोई सीटी बजाकर उस महिला या लड़की का अपमान करता है तो अपराध साबित होने पर उसे 3 वर्ष की कारावास हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
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