जाने Judicial Separation और Divorce के बीच अंतर

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 19 Feb, 2023

Judicial Separation

न्यायिक अलगाव,न्यायाधीश द्वारा हस्ताक्षरित एक कानूनी दस्तावेज है जो पति-पत्नी को अलग रहने की घोषणा करता है

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Divorce

तलाक वैवाहिक संघ को समाप्त करने और विवाह के कानूनी कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को रद्द करने की प्रक्रिया है

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हिंदू विवाह अधिनियम 1955

इस अधिनियम की धारा 10 में न्यायिक अलगाव और धारा 13 में तलाक के आधार उल्लिखित हैं, जिनके अनुसार दंपति, न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं

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तलाक या न्यायिक अलगाव के आधार

व्यभिचार, क्रूरता, परित्याग, धर्म परिवर्तन, पागलपन, कुष्ठ आदि आधारों पर तलाक या न्यायिक अलगाव मांगा जा सकता है

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अलगाव की अवधि में

न्यायालय से स्वीकृति मिलने पर, अलगाव की अवधि के दौरान पुनर्विवाह नहीं कर सकते व एक-दूसरे से अलग रहने के लिए स्वतंत्र हैं

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न्यायिक अलगाव और तलाक के बीच अंतर

न्यायिक अलगाव की याचिका विवाह के बाद किसी भी समय दायर की जा सकती है लेकिन, तलाक याचिका विवाह के एक वर्ष पूरा होने के बाद ही दायर कि जा सकती है

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अलगाव की श्रेणी

न्यायिक अलगाव एक निश्चित अवधि के लिए वैवाहिक कर्तव्यों और दायित्वों से मुक्ति देता है जबकि तलाक विवाह को स्थायी रूप से भंग कर देता है

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प्रक्रिया के चरण

तलाक में पहले विवाह के विवादों को सुलझाने का प्रयास किया जाता है, पर न्यायिक अलगाव के लिए केवल आधार अदालत द्वारा संतुष्ट होना चाहिए

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