न्यायिक अलगाव,न्यायाधीश द्वारा हस्ताक्षरित एक कानूनी दस्तावेज है जो पति-पत्नी को अलग रहने की घोषणा करता है
Image Credit: my-lord.inतलाक वैवाहिक संघ को समाप्त करने और विवाह के कानूनी कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को रद्द करने की प्रक्रिया है
Image Credit: my-lord.inइस अधिनियम की धारा 10 में न्यायिक अलगाव और धारा 13 में तलाक के आधार उल्लिखित हैं, जिनके अनुसार दंपति, न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं
Image Credit: my-lord.inव्यभिचार, क्रूरता, परित्याग, धर्म परिवर्तन, पागलपन, कुष्ठ आदि आधारों पर तलाक या न्यायिक अलगाव मांगा जा सकता है
Image Credit: my-lord.inन्यायालय से स्वीकृति मिलने पर, अलगाव की अवधि के दौरान पुनर्विवाह नहीं कर सकते व एक-दूसरे से अलग रहने के लिए स्वतंत्र हैं
Image Credit: my-lord.inन्यायिक अलगाव की याचिका विवाह के बाद किसी भी समय दायर की जा सकती है लेकिन, तलाक याचिका विवाह के एक वर्ष पूरा होने के बाद ही दायर कि जा सकती है
Image Credit: my-lord.inन्यायिक अलगाव एक निश्चित अवधि के लिए वैवाहिक कर्तव्यों और दायित्वों से मुक्ति देता है जबकि तलाक विवाह को स्थायी रूप से भंग कर देता है
Image Credit: my-lord.inतलाक में पहले विवाह के विवादों को सुलझाने का प्रयास किया जाता है, पर न्यायिक अलगाव के लिए केवल आधार अदालत द्वारा संतुष्ट होना चाहिए
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