धारा 198 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी प्रमाण पत्र को यह जानते हुए कि यह किसी भौतिक तथ्य के संबंध में गलत है और वह सही साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल करता है तो ऐसे व्यक्ति को दंडित किया जाएगा
Image Credit: my-lord.inयदि कोई व्यक्ति किसी न्यायिक कार्यवाही में ऐसे झूठे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करता है तो उसे अधिकतम 7 साल तक के कारावास और जुर्माने की सज़ा हो सकती है
Image Credit: my-lord.inकिसी अन्य तरह की कार्यवाही में ऐसे झूठे प्रमाण पत्र को इस्तेमाल करने का दोषी पाए जाने पर उसे अधिकतम 3 साल तक के कारावास और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है
Image Credit: my-lord.inIPC की धारा 198 के अंतर्गत परिभाषित अपराध एक जमानती और असंज्ञेय अपराध है. इस तरह के मामलों में अपराधी को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है
Image Credit: my-lord.inइसके मुताबिक यदि कोई व्यक्ति बेईमानी करने के उद्देश्य से किसी जाली दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का उपयोग करता है, जैसे कि वह जाली न होकर असली हो, तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को दंडित किया जाएगा
Image Credit: my-lord.inयदि कोई धारा 471 के अंतर्गत दोषी पाया जाता है तो उसे धारा 465 के तहत 2 साल के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है
Image Credit: my-lord.inधारा 471 के अंतर्गत परिभाषित अपराध एक जमानती और संज्ञेय अपराध है. इस तरह के मामलों में अपराधी को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है. इस तरह के अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता
Image Credit: my-lord.inपढ़ने के लिए धन्यवाद!