हमारे देश के कानून में भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act),1872 की धारा 53 और 54 में अपराधी के चरित्र का वर्णन किया गया है.
Image Credit: my-lord.inयह अधिनियम बताता है कि किसी अपराधी के अच्छे और बुरे चरित्र के सबूत को कब और कैसे प्रासंगिक माना जा सकता है.
Image Credit: my-lord.inअधिनियम की धारा 53 में यह कहा गया है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ अदालत में आपराधिक मामले की सुनवाई हो रही हो उसके अच्छे चरित्र के सबूत को भी अदालत प्रासंगिक मान सकती है.
Image Credit: my-lord.inधारा 53 के अनुसार अदालत किसी को भी सुनवाई के वक़्त व्यक्ति के चरित्र को साबित करने के लिए बुला सकती हैं.
Image Credit: my-lord.inअधिनियम की धारा 54 में कहा गया है कि अभियुक्त के पुराने बुरे चरित्र का सबूत कब प्रासंगिक होता है और कब नहीं.
Image Credit: my-lord.inपुराने बुरे चरित्र को साबित करने के लिए पेश किया गया सबूत तब अप्रासंगिक (Irrelevant) माना जाएगा जब तक की अभियुक्त की ओर से खुद अपने अच्छे चरित्र का प्रमाण न दिया जाए.
Image Credit: my-lord.inकिसी आरोपी के अच्छे चरित्र का प्रमाण उन मामलों में लागू नहीं हो सकता जिसमें अभियुक्त का बुरा चरित्र ही उस मामले का सच हो.
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