गिरफ्तारी से पहले ही Bail (जमानत) ली जाती है और इस जमानत को अग्रिम जमानत कहा जाता है
Image Credit: my-lord.inAnticipatory Bail, CrPC की धारा 438 के अन्तर्गत दी जाती है
Image Credit: my-lord.inCrPC की धारा 438(1) के अनुसार, आरोपी दअग्रिम जमानत के लिए अर्जी केवल हाई कोर्ट या सत्र न्यायालय के समक्ष ही दायर कर सकता है
Image Credit: my-lord.in1.आवेदक पुलिस के हर बुलावे पर उपलब्ध होगा. वह पुलिस जांच में पूरा सहयोग करेगा. 2. किसी भी गवाह को धमकाएगा नहीं और उसे गवाही न देने के लिए मजबूर नहीं करेगा. 3. कोर्ट के अनुमतिबिना भारत से बाहर नहीं जा सकता है. 4. अन्य शर्त- जमानत बॉन्ड (Bail Bond)/शिकायतकर्ता या गवाह से कोई संपर्क नहीं करना.
Image Credit: my-lord.in.अपराध की प्रकृति और उसकी गंभीरता .आरोपी का पुराना रिकॉर्ड .अपराधी जांच में सहयोग करेगा या नहीं .आरोपी द्वारा समान या अन्य अपराधों को दोहराने की संभावना
Image Credit: my-lord.inदुष्कर्म, हत्या, दहेज़ हत्या, गर्भपात या अन्य गंभीर अपराध, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज़ किये गए मामलों में भी नहीं दी जाती अग्रिम जमानत
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