नाबालिग के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज FIR को रद्द करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस डब्ल्यू डिएंगदोह की पीठ ने कहा कि 16 वर्ष की किशोरी सेक्स को लेकर सोच समझकर फैसला लेने में सक्षम है
Image Credit: my-lord.inयाचिकाकर्ता कई घरों में काम करता है, इसी दरम्यान वो पीड़िता के संपर्क में आया. दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया. आरोप है कि दोनों ने याचिकाकर्ता के चाचा के घर पर यौन संबंध बनाए
Image Credit: my-lord.inअगली सुबह नाबालिग लड़की की मां ने याचिकाकर्ता के खिलाफ IPC की धारा 363 और POCSO की धारा 3 और 4 के तहत FIR दर्ज करवाया. याचिकाकर्ता ने दर्ज शिकायत को रद्द करने की मांग अदालत से की थी
Image Credit: my-lord.inयाचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया यह यौन उत्पीड़न नहीं. पीड़िता ने खुद CrPC की धारा 164 के तहत दर्ज बयानों और अदालत में दिए गवाह से यह स्पष्ट किया कि वह याचिकाकर्ता की प्रेमिका है. संबंध आपसी सहमति से बने है, किसी तरह का कोई बल का प्रयोग नहीं किया गया
Image Credit: my-lord.inदर्ज आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि 16 वर्ष की उम्र में नाबालिग होने के बाद भी पीड़िता ने याचिकाकर्ता के पक्ष में बयान दिया है. पीड़ित के आयु वर्ग में, व्यक्तियों के शारीरिक और मानसिक विकास को ध्यान में रखते हुए यह मान लेना उचित है कि वे संभोग के संबंध में सोच-समझकर निर्णय लेने में सक्षम हैं
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