भारतीय संविदा कानून के तहत 'जबरदस्ती' और 'अनुचित प्रभाव' दो ऐसे शब्द हैं, जिनका अर्थ तो एक समान ही है लेकिन इनमें से एक अपराध की श्रेणी में आता है
Image Credit: my-lord.inभारतीय संविदा कानून, 1872 के तहत किसी को धमकाकर या फिर शारीरिक बल के जरिए उसे किसी एग्रीमेंट में शामिल करना 'जबरदस्ती' है
Image Credit: my-lord.inजब कोई एक पार्टी ज्यादा शक्तिशाली या बाकी पार्टियों पर हावी हो,या पार्टियां 'फिडूशिएरी रिलेशनशिप' में हों तो इसे अनुचित प्रभाव कहा जाता है
Image Credit: my-lord.inये एक ऐसा रिश्ता है जिसमें एक शख्स सामने वाली पार्टी के हित में काम करने के लिए कार्यबद्ध है और वो पार्टी इस पर बहुत विश्वास करती है
Image Credit: my-lord.in'जबरदस्ती' शब्द को भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 15 और अनुचित प्रभाव को धारा 16 में परिभाषित किया गया है
Image Credit: my-lord.inभारतीय दंड संहिता के तहत 'जबरदस्ती' एक क्रिमिनल ऑफेंस है और इसके लिए आपको सजा भी हो सकती है
Image Credit: my-lord.inक़ानूनी रूप से अनुचित प्रभाव को कम दण्डनीय अपराध माना गया है
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