'जबरदस्ती' और 'अनुचित प्रभाव' में अंतर

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 07 Jun, 2023

दोनों शब्दों का अर्थ समान

भारतीय संविदा कानून के तहत 'जबरदस्ती' और 'अनुचित प्रभाव' दो ऐसे शब्द हैं, जिनका अर्थ तो एक समान ही है लेकिन इनमें से एक अपराध की श्रेणी में आता है

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जबरदस्ती

भारतीय संविदा कानून, 1872 के तहत किसी को धमकाकर या फिर शारीरिक बल के जरिए उसे किसी एग्रीमेंट में शामिल करना 'जबरदस्ती' है

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अनुचित प्रभाव

जब कोई एक पार्टी ज्यादा शक्तिशाली या बाकी पार्टियों पर हावी हो,या पार्टियां 'फिडूशिएरी रिलेशनशिप' में हों तो इसे अनुचित प्रभाव कहा जाता है

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'फिडूशिएरी रिलेशनशिप'

ये एक ऐसा रिश्ता है जिसमें एक शख्स सामने वाली पार्टी के हित में काम करने के लिए कार्यबद्ध है और वो पार्टी इस पर बहुत विश्वास करती है

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इन धाराओं में परिभाषित

'जबरदस्ती' शब्द को भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 15 और अनुचित प्रभाव को धारा 16 में परिभाषित किया गया है

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कौन सा कृत्य दण्डनीय

भारतीय दंड संहिता के तहत 'जबरदस्ती' एक क्रिमिनल ऑफेंस है और इसके लिए आपको सजा भी हो सकती है

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अनुचित प्रभाव

क़ानूनी रूप से अनुचित प्रभाव को कम दण्डनीय अपराध माना गया है

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