रिश्वत के मामले में राशि की मांग और स्वीकार्यता को साबित करना जरुरी

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 23 Feb, 2023

38 साल बाद हुआ बरी

राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को राजस्थान जिला परिवहन कार्यालय के क्लर्क हरिनारायण शर्मा को 150 रुपए की रिश्वत लेने के मामले में 38 साल बाद बरी करने का आदेश दिया है

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क्या है मामला

वर्ष 1979 में सुल्ताना राम ने गाड़ी के कागज बनाने के नाम पर क्लर्क हरिनारायण द्वारा रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई

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हरिनारायण को जुर्माना और जेल

एसीबी अदालत ने 3 साल की जेल और 1500 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी, जिसके फैसले के खिलाफ हरिनारायण शर्मा ने राजस्थान हाईकोर्ट में अपील दायर की थी

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वसूली रिश्वत का आधार नहीं

हाईकोर्ट ने कहा कि केवल पैसे की वसूली ही रिश्वत मांगने का आधार नहीं हो सकता. आरोप को साबित करने के लिए आरोपी द्वारा रिश्वत की मांग किया जाना और राशि को स्वीकार करना साबित करना होगा

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फैसले के बने मददगार

हरिनारायण शर्मा ने अदालत को बताया कि एसीबी ने इस मामले में जिन दो अन्य अधिकारियों मूलचंद और अशोक जैन के लिए रिश्वत लेने का आरोप तय किया था, उनके खिलाफ एसीबी द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की गई

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अभियोजन पक्ष का बयान

अभियोजन पक्ष ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश की गई अपील का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में रिश्वत ली गई थी और रिश्वत की राशि बरामद भी की गई थी. इस मामले में एसीबी अदालत ने सही निर्णय किया है.

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