इनकम नहीं है टैक्सबल तो क्या जरुरी है ITR फाइल करना?

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 17 May, 2023

कैपिटल गेन टैक्स

कैपिटल गेन टैक्स में इस बार कई बदलाव किए गए हैं. अब न्यू टैक्स रिजीम ही डिफॉल्ट टैक्स रिजीम है

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लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन

इक्विटी इन्वेस्टमेंट एक साल से ज्यादा वक्त तक करने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में आ जाता है और इसपर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है

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लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स छूट

एक लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स छूट मिलती है, इसके ऊपर के रिटर्न पर आपको 10 फीसदी के हिसाब से टैक्स भरना होगा, Equity Investment Tax रूल के अनुसार

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इनकम सोर्स का डिस्क्लोज़र

जो लोग इक्विटी इन्वेस्टमेंट करते हैं और वह आईटीआर फाइल करते है तो उन्हे अपने ITR फॉर्म में ये सोर्स डिस्क्लोज़ करना होगा

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कब नहीं भरना होगा टैक्स

जिनका टैक्स लायबिलिटी जीरो है वो टैक्स फाइल करने के लिए बाध्य नहीं होंगे

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इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार, टैक्स लायबिलिटी नहीं होने पर टैक्स भरने से छूट मिलती. ITR भरने के कई फायदे हैं

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टीडीएस क्लेम में मदद

यह आपके आय का कानूनी प्रमाण होता है. अगर आपकी सैलरी से टीडीएस कट गया है या कटता है तो इसे क्लेम करने के लिए ITR फाइल करना चाहिए. इससे लोन लेने में भी मदद मिलती है. पासपोर्ट या वीजा के लिए आय प्रमाण से जुड़े दस्तावेज दिखाने की जरूरत होती है, ऐसे में ITR एक बड़ा प्रूफ साबित होता है

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दो टैक्स रिजीम

हमारे देश में दो टैक्स रिजीम हैं- ओल्ड और न्यू. दोनों में बहुत ज्यादा फर्क हैं. दोनों में टैक्सेबल इनकम का दायरा अलग-अलग है

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ओल्ड टैक्स रिजीम

ओल्ड टैक्स रिजीम में आईटीआर फाइल करने पर 2.5 लाख तक के ग्रोस टोटल इनकम पर कोई टैक्स नहीं भरना होता है. इसके ऊपर भी टैक्सपेयर रिबेट और एक्जेम्पशन लेकर दो लाख तक टैक्स बचा सकता है. इससे टैक्सपेयर के टैक्स की देनदारी कम होती है

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न्यू टैक्स रिजीम

न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख तक की आय को टैक्स भरने तक पूरी तरह से छूट मिली हुई है. वहीं, रिबेट के साथ 7 लाख तक की इनकम पर भी आपको टैक्स छूट मिल जाती है, इससे टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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