कैपिटल गेन टैक्स में इस बार कई बदलाव किए गए हैं. अब न्यू टैक्स रिजीम ही डिफॉल्ट टैक्स रिजीम है
Image Credit: my-lord.inइक्विटी इन्वेस्टमेंट एक साल से ज्यादा वक्त तक करने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में आ जाता है और इसपर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है
Image Credit: my-lord.inएक लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स छूट मिलती है, इसके ऊपर के रिटर्न पर आपको 10 फीसदी के हिसाब से टैक्स भरना होगा, Equity Investment Tax रूल के अनुसार
Image Credit: my-lord.inजो लोग इक्विटी इन्वेस्टमेंट करते हैं और वह आईटीआर फाइल करते है तो उन्हे अपने ITR फॉर्म में ये सोर्स डिस्क्लोज़ करना होगा
Image Credit: my-lord.inजिनका टैक्स लायबिलिटी जीरो है वो टैक्स फाइल करने के लिए बाध्य नहीं होंगे
Image Credit: my-lord.inइनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार, टैक्स लायबिलिटी नहीं होने पर टैक्स भरने से छूट मिलती. ITR भरने के कई फायदे हैं
Image Credit: my-lord.inयह आपके आय का कानूनी प्रमाण होता है. अगर आपकी सैलरी से टीडीएस कट गया है या कटता है तो इसे क्लेम करने के लिए ITR फाइल करना चाहिए. इससे लोन लेने में भी मदद मिलती है. पासपोर्ट या वीजा के लिए आय प्रमाण से जुड़े दस्तावेज दिखाने की जरूरत होती है, ऐसे में ITR एक बड़ा प्रूफ साबित होता है
Image Credit: my-lord.inहमारे देश में दो टैक्स रिजीम हैं- ओल्ड और न्यू. दोनों में बहुत ज्यादा फर्क हैं. दोनों में टैक्सेबल इनकम का दायरा अलग-अलग है
Image Credit: my-lord.inओल्ड टैक्स रिजीम में आईटीआर फाइल करने पर 2.5 लाख तक के ग्रोस टोटल इनकम पर कोई टैक्स नहीं भरना होता है. इसके ऊपर भी टैक्सपेयर रिबेट और एक्जेम्पशन लेकर दो लाख तक टैक्स बचा सकता है. इससे टैक्सपेयर के टैक्स की देनदारी कम होती है
Image Credit: my-lord.inन्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख तक की आय को टैक्स भरने तक पूरी तरह से छूट मिली हुई है. वहीं, रिबेट के साथ 7 लाख तक की इनकम पर भी आपको टैक्स छूट मिल जाती है, इससे टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है
Image Credit: my-lord.inपढ़ने के लिए धन्यवाद!