कर्नाटक हाईकोर्ट में एक मामला सामने आया है जिसमें एक महिला को अदालत ने डिवोर्स की अनुमति तो दी लेकिन पति के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं की
Image Credit: my-lord.inमहिला की यह शिकायत थी कि उनके पति उनके साथ शारीरिक संबंध नहीं बना रहे जिसपर अदालत का कहना है कि ये IPC की धारा 498A के तहत क्रूरता नहीं है
Image Credit: my-lord.inकर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस एम नागाप्रसन्ना ने कहा कि शारीरिक संबंध न बनाना हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12(1)(a) के तहत तलाक का एक आधार हो सकता है
Image Credit: my-lord.inकर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि क्योंकि दहेज को लेकर या ससुराल वालों के खिलाफ कोई शिकायत नहीं दर्ज की गई है इसलिए इस मामले में आईपीसी की धारा 498A के तहत आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती
Image Credit: my-lord.inपत्नी ने यह दावा किया कि उसके पति हर समय ब्रह्मकुमारी समाज की सिस्टर शिवानी के वीडियो देखते रहते हैं और उन्हें शारीरिक संबंध बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है
Image Credit: my-lord.inपत्नी कहती हैं कि उनके पति का यह मानना है कि प्यार के लिए शारीरिक संबंध जरूरी नहीं हैं, यह दो आत्माओं का मिलन होता है
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