भारतीय संविधान में एक अधिनियम है जिसके तहत, जरूरतमंदों को निःशुल्क न्याय मिल सकता है। सरकार उनके वकील का खर्चा उठाएगी
Image Credit: my-lord.inभारतीय संविधान के 'विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987' के तहत दो श्रेणियों के लोगों को निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान की जाती है
Image Credit: my-lord.inबता दें कि निःशुल्क विधिक सहायता जिला (District), राज्य (State) और राष्ट्रीय स्तर पर काम करता है। आप हर स्तर पर न्याय पा सकते हैं
Image Credit: my-lord.in'विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987' के तहत 'राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण' (NALSA) है जिसके तहत वो लोग न्याय प्राप्त कर सकते हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं
Image Credit: my-lord.inनिःशुल्क विधिक सहायता का फायदा उठाने के लिए पहली श्रेणी वो है जिनमें महिलाएं, अनुसूचित जनजाति-अनुसूचित जाति और बच्चे शामिल हैं
Image Credit: my-lord.inदूसरी श्रेणी में वो लोग हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और जो गरीबी रेखा के नीचे (Below Poverty Line) जीवन यापन कर रहे हैं
Image Credit: my-lord.inइस सहायता के तहत सरकार आपको एक वकील देती है जिसका खर्चा वो खुद उठाती है। इस सेवा का आवेदन आप अदालत परिसर में बने ऑफिस में जाकर कर सकते हैं। अगर जांच के बाद आपकी अर्जी मंजूर हुई, तो आपको यह सहायता मिल जाएगी
Image Credit: my-lord.inसरकार आपको एक वकील तो देगी ही, लेकिन अगर आप जिस संपत्ति को लेकर केस लड़ रहे हैं, वो आपकी इकलौती संपत्ति है, तो आपकी कोर्ट फीस भी माफ हो सकती है। केस जीतने के बाद आपको सबसे पहले उसका भुगतान करना होगा
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