तलाक ले रहे पति या पत्नी के अलावा हमारे देश में वो माता पिता जो अपना गुजारा भत्ता निकालने में असमर्थ हैं वह भी भरण पोषण का दावा कर सकते हैं. हिंदू कानून में जानिए कितने तरह के होते हैं भरण पोषण
Image Credit: my-lord.inभरण पोषण (Maintenance) मांगने का अधिकार एक वैधानिक अधिकार है. कानून के अनुसार अलगाव या तलाक के बाद भरण पोषण एक पति द्वारा पत्नी को भुगतान की जाने वाली आर्थिक सहायता है
Image Credit: my-lord.inदंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure- CrPC), की धारा 125 के अनुसार भरण पोषण का एक धर्मनिरपेक्ष (Secular) नियम है. हिंदुओं के भरण-पोषण के नियम उनके निजी कानून में बताए गए हैं, वहीं मुस्लिम व्यक्तिगत कानून में मुसलमानों के भरण पोषण के बारे में प्रावधान किया गया है. भरण पोषण से संबंधित सभी कानून पारिवारिक कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आते हैं
Image Credit: my-lord.inहिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 2 के अनुसार सिख, जैन और बौद्ध सहित सभी हिंदुओं को इस कानून के तहत भरण पोषण पाने का अधिकार है
Image Credit: my-lord.inहिंदू दत्तक ग्रहण (एडॉप्शन) और भरण पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 3 (B) के अनुसार भरण पोषण के तहत निम्नलिखित सुविधाएं शामिल हैं; हर हाल में भोजन, कपड़ा, आवास, शिक्षा, चिकित्सा और उपचार की व्यवस्था उपलब्ध कराना अनिवार्य है. अविवाहित पुत्री है तो उसके विवाह के वक्त आर्थिक सहायता प्रदान करना
Image Credit: my-lord.inकानूनी रूप से भरण पोषण दो प्रकार के होते हैं अस्थायी और स्थायी
Image Credit: my-lord.inयह भरण पोषण तब दिया जाता है जब अदालत में तलाक की कार्य़वाही चल रही होती है. इस तरह के भरण पोषण को अदालत के द्वारा ही दिया जाता है. इसमें दावेदार के रहने के खर्चों के साथ- साथ कोर्ट की प्रक्रिया में होने वाले खर्चों को भी शामिल किया जाता है.
Image Credit: my-lord.inइस कानून के तहत अस्थायी भरण पोषण का दावा किया जाता है. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125(1) का उपयोग भी इस भरण पोषण का दावा करने के लिए किया जा सकता है
Image Credit: my-lord.inइस तरह का भरण पोषण तब दिया जाता है जब अदालत की कार्यवाही खत्म हो जाती है. कानून के अनुसार तय राशि को तय समय पर हर माह या किसी निश्चित समय पर दिया जाता है. इसके बारे में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 25 में प्रावधान किया गया है
Image Credit: my-lord.inपत्नी, बच्चे (वैध और नाजायज बेटे, अविवाहित वैध और नाजायज बेटियां, विवाहित बेटी जो खुद का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं), अभिभावक (गार्जियन), या अन्य आश्रित
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