पीड़ित महिला को सामाजिक उत्पीड़न या बहिष्कार से बचाने हेतु IPC में धारा 228A को आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 1983 द्वारा शामिल किया गया
Image Credit: my-lord.inपीड़िताओं की पहचान का खुलासा करने पर रोक लगाना और अपराध के बाद पीड़िता को सामाजिक उत्पीड़न या बहिष्कार से बचाना इस कानून का उद्देश्य है
Image Credit: my-lord.inयदि कोई व्यक्ति दुष्कर्म से जुड़े अपराधों के तहत पीड़िता के पहचान संबंधित सूचना प्रकाशित करता है, तो उसे दंडित किया जाएगा
Image Credit: my-lord.inदोषी पाए जाने पर उस व्यक्ति को दो साल के कारावास और जुर्माने की सज़ा हो सकती है
Image Credit: my-lord.inसंबंधित अदालत की पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना पहली उप-धारा के संबंध में अदालती कार्यवाही से संबंधित किसी भी मामले को प्रकाशित करना भी अपराध है
Image Credit: my-lord.inदोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति को दो साल के कारावास और जुर्माने की सज़ा हो सकती है
Image Credit: my-lord.inपुलिस द्वारा जांच के उद्देश्य के लिए, पीड़िता से लिखित में अनुमति लेने के बाद,या पीड़िता की मृत्यु या मानसिक रूप से अस्वस्थ होने पर उसके निकटतम संबंधी के लिखित अनुमति के बाद ही ऐसा कर सकते हैं
Image Credit: my-lord.inIPC की धारा 228A के अंतर्गत अपराध, जमानती और संज्ञेय है, अपराधी को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है तथा समझौता नहीं किया जा सकता
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