दुष्कर्म से पीड़िता की पहचान का खुलासा करना है अपराध

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 17 Feb, 2023

IPC की धारा 228A

पीड़ित महिला को सामाजिक उत्पीड़न या बहिष्कार से बचाने हेतु IPC में धारा 228A को आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 1983 द्वारा शामिल किया गया

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IPC की धारा 228A का उद्देश्य

पीड़िताओं की पहचान का खुलासा करने पर रोक लगाना और अपराध के बाद पीड़िता को सामाजिक उत्पीड़न या बहिष्कार से बचाना इस कानून का उद्देश्य है

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228A की पहली उप-धारा

यदि कोई व्यक्ति दुष्कर्म से जुड़े अपराधों के तहत पीड़िता के पहचान संबंधित सूचना प्रकाशित करता है, तो उसे दंडित किया जाएगा

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क्या है सजा

दोषी पाए जाने पर उस व्यक्ति को दो साल के कारावास और जुर्माने की सज़ा हो सकती है

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228A की तीसरी उप-धारा

संबंधित अदालत की पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना पहली उप-धारा के संबंध में अदालती कार्यवाही से संबंधित किसी भी मामले को प्रकाशित करना भी अपराध है

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क्या है सजा

दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति को दो साल के कारावास और जुर्माने की सज़ा हो सकती है

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प्रकाशन की अनुमति

पुलिस द्वारा जांच के उद्देश्य के लिए, पीड़िता से लिखित में अनुमति लेने के बाद,या पीड़िता की मृत्यु या मानसिक रूप से अस्वस्थ होने पर उसके निकटतम संबंधी के लिखित अनुमति के बाद ही ऐसा कर सकते हैं

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अपराध की श्रेणी

IPC की धारा 228A के अंतर्गत अपराध, जमानती और संज्ञेय है, अपराधी को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है तथा समझौता नहीं किया जा सकता

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