जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, देश के मुख्य न्यायाधीश ने 30 मई, 2023 को कैंब्रिज लॉ यूनिवर्सिटी में 'कैंब्रिज प्रो बोनो प्रोजेक्ट एन्युअल लेक्चर' के तहत एक भाषण दिया जो 'संवैधानिक अधिकारों और संवैधानिक संस्थानों' के रिश्ते पर था
Image Credit: my-lord.inजस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि देश और उसके नागरिक के रिश्ते के चार पहलू होते हैं- संवैधानिक प्रक्रियाएं, शासन के लिए संस्थागत व्यवस्था, संविधान के तहत काम की जांच और लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी
Image Credit: my-lord.inसंवैधानिक अधिकारों और मूल्यों को सुरक्षित रखने के लिए सबसे जरूरी है देश में संवैधानिक संस्थानों का होना, जो इन अधिकारों और मूल्यों को संभालकर रखते हैं
Image Credit: my-lord.inसंविधान की प्रासंगिकता ऐसे संस्थानों की स्थापना पर टिकी है जो एक शासन प्रणाली तैयार कर सकें और उसे जिम्मेदारी से चला सकें
Image Credit: my-lord.inजस्टिस चंद्रचूड़ ने संस्थानों के बीच 'सेपरेशन ऑफ पावर' की अहमियत को भी हाईलाइट किया है और कहा है कि उनके हिसाब से हर संस्थान का एक काम यह भी है कि वो बाकी संस्थानों की शक्ति को नियंत्रित रखे
Image Credit: my-lord.inभारत के मुख्य न्यायाधीश का कहना है कि हमारे देश का संविधान शासन के एक विकेंद्रीकृत मॉडल की कल्पना करता है जहां पंचायत राज और स्थानीय स्वशासन से लेकर राज्य-केंद्र सरकार तक, सबका प्रावधान है
Image Credit: my-lord.inचीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने अपने भाषण में न्यायिक समीक्षा यानी जूडिशियल रिव्यू को भी अहम बताया है; उनके हिसाब से यायिक समीक्षा संवैधानिक संस्थानों की शक्ति को नियंत्रित करने का एक तरीका है
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