एक नाबालिग/अवयस्क, करार करते वक़्त अपने हित में उचित फैसला लेने में सक्षम नहीं होता है, और उसकी अयोग्यता का किसी अन्य व्यक्ति द्वारा फायदा उठाया जा सकता है, जिससे ऐसे नाबालिग को नुकसान हो सकता है
Image Credit: my-lord.inIndian Contract Act 1872 की धारा 10 एवं धारा 11 में कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि यदि एक नाबालिग के द्वारा एक करार किया जाता है तो वह उसके विकल्प पर शून्यकरणीय करार (Voidable Agreement) होगा या पूर्ण रूप से शून्य करार (Void Agreement) होगा
Image Credit: my-lord.inजहां एक नाबालिग ने पूर्ण प्रतिफल का भुगतान किया है और एक करार के तहत उसके द्वारा कुछ किए जाने की आवश्यकता नहीं है या उसे कोई दायित्व उठाने की आवश्यकता नहीं है, वहां ऐसा नाबालिग वह लाभ प्राप्त कर सकता है
Image Credit: my-lord.inएक नाबालिग, करार के तहत एक वचनगृहीता (Promisee) हो सकता है, परन्तु वचनदाता (Promisor) नहीं। इसलिए यदि नाबालिग ने वचन का अपना या दायित्व पूरा किया है, लेकिन दूसरे पक्ष ने वचन के अंतर्गत अपने कर्त्तव्य का निर्वहन नहीं किया है, तो वह नाबालिग उस करार को लागू करा सकता है
Image Credit: my-lord.inएक नाबालिग द्वारा किया गया करार, शून्य (Void) अवश्य है, लेकिन ऐसा करार अवैध (Illegal) नहीं है, क्योंकि इसको लेकर कोई कानूनी प्रावधान मौजूद नहीं था लेकिन मोहिरी बीबी बनाम धर्मोदास घोष (1903) के ममाले में प्रिवी कांउसिल ने स्पष्ट कर दिया
Image Credit: my-lord.inप्रिवी काउंसिल ने यह माना कि एक नाबालिग का करार शुरुआत से ही शून्य (Void ab Initio) है
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