'लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम' (POCSO Act) के तहत देश में 'एज ऑफ कन्सेंट' (Age of Consent) 18 वर्ष है
Image Credit: my-lord.inयदि कोई लड़की अपनी मर्जी से भी किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाती है लेकिन उसकी उम्र 18 साल से कम है तो कानून की नजर में उसकी रजामंदी का कोई मतलब नहीं होगा; इसे अपराध समझा जाएगा
Image Credit: my-lord.inभारत में 'एज ऑफ मैरिज' की बात करें तो 'विशेष विवाह अधिनियम' की धारा 4(c) के अनुसार, लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 साल और लड़कों की 21 साल निर्धारित की गई है
Image Credit: my-lord.inबंबई हाईकोर्ट में एक मामला सामने आया जिसमें एक आदमी को पॉक्सो एक्ट के तहत रेप के लिए दोषी ठहराया गया है क्योंकि उसने एक 17.5 साल की लड़की के साथ उसकी रजामंदी से शारीरिक संबंध बनाए थे
Image Credit: my-lord.inअदालत का कहना है कि जिस लड़की से शारीरिक संबंध बनाने के लिए आदमी पर रेप का इल्जाम लगा है, उसने अपनी मर्जी से शारीरिक संबंध बनाए थे; ऐसे में आदमी को बलात्कार का दोषी ठेहरना सही नहीं है
Image Credit: my-lord.inबंबई हाईकोर्ट में कुछ समय पहले एक और मामला सामने आया था जिसकी सुनवाई के दौरा अदालत ने सरकार से अनुरोध किया कि देश में एज ऑफ कन्सेंट 18 साल से कम करके 16 साल कर दी जानी चाहिए
Image Credit: my-lord.inबंबई उच्च न्यायालय का यह कहना है कि रोमांटिक रिश्ते के अपराधीकरण ने न्यायपालिका, पुलिस और बाल संरक्षण प्रणाली का महत्वपूर्ण समय बर्बाद करके आपराधिक न्याय प्रणाली पर बोझ डाल दिया है
Image Credit: my-lord.inएज ऑफ कन्सेंट को कम करने की वजह सोशल मीडिया बताई गई; सोशल मीडिया के दौर में बच्चे बहुत जल्दी बड़े हो रहे हैं और इन सब मामलों में उन्हें पहले से ज्यादा जानकारी होती है
Image Credit: my-lord.inपढ़ने के लिए धन्यवाद!